झारखंड में मंगलवार को माओवादियों के साथ एक मुठभेड़ में शहीद हुए पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक ने एक पुलिस अधिकारी को फोन करके मदद मांगी थी, लेकिन सहायता पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। गोलियों की आवाज दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों ने मोबाइल फोन पर सुनी। दुमका क्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीजीपी) राजीव कुमार ने दुमका में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक से लौटते समय रास्ते में माओवादियों ने बलिहार की हत्या कर दी। एसपी के काफिले पर काथीकुंड और गोपिकानार के बीच जंगली क्षेत्र में हमला किया गया। पहले से ही जंगल में छिपे हुए माओवादियों की संख्या 40 से 50 बताई जा रही है। उन्होंने पहले बारूदी सुरंग में विस्फोट किया और उसके बाद पुलिस के काफिले पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
माओवादियों से घिरने के बाद बलिहार ने अमरापाड़ा पुलिस थाने के निरीक्षक को फोन करके मदद मांगी। लेकिन पुलिस की सहायता पहुंचने तक काफी देर हो चुकी थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक माओवादियों ने एसपी से कहा कि वह मदद के लिए पुलिस अधिकारियों को फोन करें। बलिहार ने फोन किया और मदद मांगी, लेकिन उनकी हत्या कर दी गई और पुलिस अधिकारियों ने गोलियों की आवाज मोबाइल फोन पर सुनी। पुलिस के मुताबिक माओवादियों को बलिहार की गतिविधियों की ठोस जानकारी हासिल थी।
झारखंड के राज्यपाल सैयद अहमद ने बुधवार को बलिहार को श्रद्धांजलि दी। बलिहार का शव एक हेलीकाप्टर से बुधवार सुबह रांची लाया गया। झारखंड सशस्त्र पुलिस के मैदान पर जब बलिहार को अंतिम सलामी दी जा रही थी तो इस मौके पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन, पुलिस प्रमुख राजीव कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बलिहार ने 1986 में पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर सेवा शुरू की थी। उनकी पदोन्नति 2003 में हुई और उनको आईपीएस बना दिया गया। उनके परिवार में पत्नी सुमनलता बलिहार, दो पुत्रियां और एक पुत्र है। अंतिम बार उन्होंने पत्नी से दोपहर दो बजे दुमका से पाकुड़ लौटते समय बात की थी और बुधवार को रांची आने का वादा किया था।
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