बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना हैं कि देश में 1952 से अबतक कभी भी बीजेपी के लिए इतना अच्छा माहौल नहीं रहा है, जितना अच्छा अब है. आडवाणी ने पार्टी नेताओं से चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए कहा है. आडवाणी ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘कांग्रेस ने पिछले तीन साल के दौरान बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए जो कोशिश की है, और किसी ने नहीं की होगी.’
आडवाणी ने कहा कि देश में राजनीतिक माहौल पार्टी के रिकॉर्ड तोड़ परिणाम हासिल करने के लिए बिल्कुल अनुकूल है, क्योंकि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के भ्रष्टाचार और महंगाई पर काबू पाने में विफल रहने पर मुख्य विपक्षी दल के लिए अनुकूल स्थिति बनी हुई है.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने सुनिश्चित किया है कि आगामी लोकसभा चुनावों में भ्रष्टाचार, महंगाई, जन हितैषी शासन और ईमानदार प्रशासन मुद्दे होंगे.’ जब एक पार्टी कार्यकर्ता ने आडवाणी के पक्ष में नारे लगाए, उन्होंने कहा, ‘हमारे बारे में नारे नहीं लगाइए. इसकी जरूरत नहीं. इसके बजाय कड़ी मेहनत पर ध्यान केंद्रित करें.' उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के खराब प्रदर्शन के चलते राजनीतिक हालात बीजेपी के पक्ष में हैं. लेकिन उन्होंने अफसोस जताया कि कभी-कभी पार्टी कार्यकर्ताओं में कड़ी मेहनत का अभाव होता है.
आडवाणी ने समय से पहले चुनाव का पूर्वानुमान करते हुए कहा, ‘मौसम की स्थिति और अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग भी समय पूर्व चुनाव कराना चाहेगा, चाहे सरकार चाहती हो या नहीं. सरकार भी समय पूर्व चुनाव चाह सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘पर चुनाव जब भी हो, आपको समय की अटकलें लगाए बगैर तैयारी शुरू करनी होगी.’ आडवाणी ने पार्टी में नरेंद्र मोदी का ओहदा बढ़ाए जाने से आरएसएस के साथ संबंधों में कथित तनाव आने के बीच संघ की सराहना की और कहा कि जातिगत आधार पर भेदभाव नहीं करने की उसकी नीति ने उन्हें दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में मदद की थी.
आडवाणी ने कहा, ‘आरएसएस ने कभी भी जाति को स्वीकार नहीं किया और वह मानता है कि समाज के सभी तबके बराबर हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जब महात्मा गांधी ने वर्धा में आरएसएस शाखा (बैठक) का दौरा किया था तब विभिन्न जातियों के लोगों को एक साथ बैठकर भोजन करते देख उन्हें हैरत हुई थी.’ आडवाणी ने कहा कि हिंदुओं ने अपना धर्म परिवर्तन जातीय ज्यादतियों के चलते किया. उन्होंने कहा, ‘आरएसएस का विचार है कि जाति के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव नहीं होने के कारक ने हमारी पार्टी के राजनीतिक विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.’ आडवाणी ने कहा कि भेदभाव नहीं करने के इस रुख ने दलितों को बीजेपी के करीब लाया है.
उन्होंने बीएसपी के पूर्व प्रमुख कांशी राम का हवाला दिया और याद दिलाया कि कई साल पहले उनके साथ एक बार बातचीत में उन्होंने (कांशी राम ने) कहा था, ‘जो कुछ सामाजिक रूप से हासिल नहीं किया जा सकता (दलितों द्वारा) उसे राजनीतिक रूप से हासिल किया जा सकता है. आडवाणी ने पंजाब में हुई आरएसएस शाखा (बैठक) का उदाहरण देते हुए दावा किया कि सिखों को छोड़कर समाज के सभी तबके इनमें शामिल हुआ करते थे.
बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के गठजोड़ करने के बाद सिखों ने भी आरएसएस की बैठकों में शरीक होना शुरू कर दिया. मोदी को पार्टी की चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाए जाने के बाद से आडवाणी कथित तौर पर आरएसएस से नाराज हैं. दरअसल, अपने वोट प्रतिशत में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के उद्देश्य से बीजेपी की देश के दलित वोट पर नजर है. पार्टी के नजरें अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, महिला और युवा मतादाताओं पर भी है.
बीजेपी नेता ने एक अखबार में प्रकाशित ताजा चुनाव सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि इसने बताया है कि बीजेपी अगला चुनाव जीतेगी. बीजेपी के एससी मोर्चा के प्रमुख संजय पासवान ने कहा कि चुनाव सर्वेक्षण ने यह जाहिर किया है कि 23 प्रतिशत लोग बीजेपी की सत्ता में वापसी चाहते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पूर्व की उस टिप्पणी को लेकर आलोचना की जिसके तहत उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है. पासवान ने कहा, ‘संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है. गरीबों का सबसे बड़ा तबका अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से है. मैं प्रधानमंत्री की टिप्पणी की निंदा करता हूं.’
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