अलग तेलंगाना राज्य को कांग्रेस ने हरी झंडी दे दी है। शुक्रवार शाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा की। इस बैठक में सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि इसकी घोषणा अगले महीने की 5 तारीख से पहले कर दी जाएगी।
अलग तेलंगाना राज्य बनाने की जो मांग सालों से हो रही ही थी अब वह हकीकत बनने जा रही है। कांग्रेस में इस पर सहमति बन गई है और इसकी घोषणा मॉनसून सत्र से पहले हो जाएगी यानी जल्द ही भारत में राज्यों की संख्या 28 से बढ़कर 29 हो जाएगी। आंध्र प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा है कि निर्णायक फैसले का इंतजार कीजिए। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि हैदराबाद कुछ सालों तक दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी। बाद में आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाई जाएगी। तेलंगाना और बाकी आंध्र में 21−21 लोकसभा सीटें होंगी।
कांग्रेस की रणनीति इन 42 सीटों पर कब्जे की है और इसके लिए बाकी के आंध्र में जगनमोहन को साथ लेने की कोशिश की जाएगी। गौरतलब है कि अलग तेलंगाना को लेकर लंबे समय से सियासत और आंदोलन जारी रहा है। आइये एक नजर तेलंगाना से जुड़ी घटनाओं पर :
-2001 में सोनिया गांधी ने एनडीए सरकार को तेलंगाना के मुद्दे पर चिट्ठी लिखी। के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति बनाई।
-2006 में कांग्रेस−टीआरएस तेलंगाना के मुद्दे पर अलग हुए।
-जनवरी 2010 में श्रीकृष्ण कमेटी बनाई गई।
-दिसंबर 2010 में श्रीकृष्ण कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी छह विकल्प सुझाए।
-दिसंबर 2012 में गृहमंत्री सुशील शिंदे ने फैसले के लिए एक महीने का वक्त मांगा।
-जनवरी 2013 में डेडलाइन खत्म हुई और तेलंगाना में हिंसा।
-मई 2013 में कांग्रेस छोड़कर कई नेता टीआरएस में शामिल हुए।
-जुलाई 2013 में अलग तेलंगाना के विरोध में कई विधायकों का इस्तीफा।
तेलंगाना में अलग राज्य की मांग को लेकर कई बार हिंसा हुई तो उस इलाके के राजनीतिज्ञ भी एकजुट हुए। अब जब तेलंगाना के अलग राज्य बनने का ऐलान होगा तो फिर इसका श्रेय लेने की होड़ मचती दिखेगी।
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