खाद्य सुरक्षा संबंधी प्रस्तावित अध्यादेश पर बुधवार को केंद्रीय मत्रिमंडल की बैठक में फिर से चर्चा होने की संभावना है. यह निर्णय किया जाना है कि इसे अध्यादेश के रूप में लागू किया जाए या संबंधित विधेयक को पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश 2013 बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक के एजेंडे में सूचीबद्ध है. कैबिनेट ने 13 जून की बैठक में इस मुद्दे पर मतभेद होने के चलते प्रस्ताव को टाल दिया था. इस बीच एक साक्षात्कार में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि 2009 के आम चुनावों में किए गए वादे के अनुरूप यूपीए सरकार खाद्य कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने का वादा यूपीए और कांग्रेस पार्टी ने किया था. यह उन वादों में शामिल है, जिसे लेकर लोगों ने यूपीए को दोबारा सत्ता में आने के लिए वोट दिया. अगर लोगों की यह इच्छा है तो हमें एक खाद्य सुरक्षा विधेयक अवश्य लाना चाहिए. मुझे लगता है कि यूपीए ऐसा कानून बनाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के वादे को पूरा करने में देर की, चिदंबरम ने कहा, ‘‘हमने देरी नहीं की है. किसी ने ऐसा नहीं कहा कि सभी वादे सरकार के प्रथम 100 दिन में पूरे हो जाएंगे.’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘पांच साल का कार्यकाल वादों को पूरा करने के लिए है. हम सिर्फ तभी वादों को पूरा करेंगे जब आर्थिक स्थिति हमें वादों को पूरा करने की इजाज़त देगी. यह जो वादा हमने किया है उसे पूरा करेंगे. इसे लागू किया जाएगा.’’
इस विधेयक को पारित करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह मैं नहीं जानता. इसका जवाब संसदीय कार्य मामलों के मंत्री देंगे.’’ खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद के बजट सत्र में पेश किया गया था लेकिन विभिन्न कथित घोटालों को लेकर लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी. इस विधेयक के दायरे में 67 प्रतिशत आबादी को राशन दुकानों से 1 से 3 रूपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से 5 किलोग्राम अनाज देने का प्रावधान है.
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