कोसी क्षेत्र : ...और अब रेनकट बनी मुसीबत! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 3 जुलाई 2013

कोसी क्षेत्र : ...और अब रेनकट बनी मुसीबत!

  • - लगातार हो रही बारिश से जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति विकट, प्रशासन का दावा: हम हैं तैयार 


कुमार गौरव, सहरसा: पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही झमाझम बारिश ने जहां बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ा दी है, वहीं प्रशासन हर विकट स्थिति से जूझने का दावा कर रहा है। नवहट्टा प्रखंड के 80.05 किमी पर दबाव बना हुआ है। गत दिनों कोसी बैराज से 01 लाख 59 हजार 365 क्यूसेक जबकि बराह क्षेत्र में 1 लाख 22 हजार 400 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज के बाद मिट्टी क्षरण की समस्या अब विकराल रुप ले चुकी है। जर्जर स्पर के डाउन स्ट्रीम में नौज पर पुराने बोल्डर क्रेट अब नदी की तेज बहाव का सामना नहीं कर पा रहे हैं। मुख्य अभियंता, वीरपुर के बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक फुल्टेगौड़ा में नदी के पहाड़ी से उतरने के वेग की चपेट में स्पर 09, 10 व 11 किमी का नोज कट चुका है। हालांकि मुख्य अभियंता के तकनीकी सलाहकार ई. सतीश कुमार सिंह की माने तो दोनों प्रभाग के तटबंध व स्पर पूरी तरह से सुरक्षित हैं, और कटाव निरोधी कार्य भी जारी है। वहीं कनीय अभियंता व सहायक अभियंता की माने तो दबाव के बावजूद क्षेत्र की स्थिति काबू में है। पूर्वी कोसी तटबंध के कई बिंदुओं पर दबाव व कटाव के कारण बना रेनकट अब प्रशासन के लिए सिरदर्द से कम नहीं।   

गौरतलब है कि नवहट्टा प्रखंड के गौड़पारा, एकाड़, एकाढ़, मझौल, परसबन्ना, फेकराही, मोहनपुर, धर्मपुर समेत कई अन्य पंचायतों के आसपास 78, 79, 80.05, 82.00, 82.25 व 82.50 (आरडी) बिंदुओं पर रेनकट अब नई समस्या बनती जा रही है। कोसी नदी के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के कारण रेनकट तटबंध की सुरक्षा के लिहाज बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। जिले के नवहट्टा व महिषी प्रखंड के बाद कोसी सिमरी बख्तियारपुर और अंतिम रुप से सलखुआ प्रखंड में उतरती है, जहां कोसी का मिलन बागमती नदी से होता है। फिलवक्त सिमरी प्रखंड के 04 पंचायतों के 40 गांव जबकि सलखुआ प्रखंड के 08 पंचायतों के तकरीबन 80 गांव बाढ़ की चपेट में है। बताते चलें कि सिमरी के घोघसम, कठडुमर, धनुपुरा, बेलवाड़ा गांव व सलखुआ प्रखंड के चानन, अलानी, कबीरा, साम्हराखुर्द समेत कई अन्य गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं। कमोबेश यही स्थिति बनमा इटहरी प्रखंड की भी है। प्रखंड के सहुरिया, जमालनगर, इटहरी, व सरबेला गांव बाढ़ की चपेट में हैै। उधर प्रशासन का अब भी कहना है कि जिले में बाढ़ जैसी स्थिति नहीं है और यदि बाढ़ की स्थिति बनी तो इसके लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। तमाम प्रशासनिक दावों के बावजूद स्थिति विपरीत है। नवहट्टा प्रखंड के मोहनपुर के पास 80.00-82.00 (आरडी) के पास कोसी पूर्वी तटबंध के बिल्कुल सटकर बह रही है जबकि 81.75 (आरडी) के पास तो नदी का फासला महज 10 मीटर रह गया है। सूत्रों की मानें तो 80.40 आरडी पर लगभग 600 मीटर अंदर चहटी (मिट्टी के उस ढे़र को कहते हैं जहां घास की मोटी परत उग जाती है) पर बारिश के दिनों मिट्टी की पकड़ कमजोर होने का ही नतीजा है कि कई जगहों से रेनकट की समस्या सामने आ रही हैं। बारिश में तेजी से चक्कर लगाते टैक्टरों को देखकर स्थानीय लोग मजाकिया लहजे में कहते हैं कि आग लगने की स्थिति में प्रशासन द्वारा कुआं खोदने का काम किया जा रहा है। बता दें कि क्षेत्र में कोसी की धार को डायवर्ट करने की दिशा में पायलट चैनल निर्माण को हरी झंडी दिखायी गयी थी, लेकिन आनन फानन में किये गये कार्य का नतीजा अब सबके सामने है और एकाध नहीं बल्कि दर्जनों गांवों में लोग बेघर हो चुके हैं। ज्ञात हो कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा एंटी इरोजन कार्य पायलट चैनल निर्माण की तय समय सीमा पर कार्य शुरु नहीं करने का खामियाजा अब लोग भुगत रहे हैं। 

जगह जगह रेनकट की समस्या व कोसी की तेज धार में कई गांवों का विलीन हो जाना कोसी योजना व जल संसाधन विभाग के कई लापरवाहियों की ओर इशारा करता है। अब सवाल यह उठता है कि जब पूर्वी तटबंध का यह क्षेत्र नेपाल के इलाके में नहीं पड़ता है जहां कि किसी भी तरह का कार्य करने के लिए उसकी इजाजत की जरुरत नहीं पड़ेगी तो फिर देरी क्यों हुई? दूसरा सवाल यह है कि पानी से घिर जाने के बाद इस तरह की खुदाई करना क्या पूरी तरह से खाओ पकाओ योजना बनकर नहीं रह जाएगी? इसकी पूरी गुंजाइश इस वजह से बनती है क्योंकि एक बार जब पायलट चैनल का काम पूरा हो गया और गत दिनों हुई जबरदस्त बारिश व नेपाल से डिस्चार्ज पानी के बहाव के कारण ज्यादातर हिस्सों में चहटी कोसी के बहाव में विलीन हो रही है। ऐसे में अब यह पता लगाना नामुमकिन सा प्रतीत हो रहा है कि कितनी ईमानदारी से चैनल की खुदाई के कार्य को अंजाम दिया गया। हालांकि इस बार चैनल खुदाई में देरी कोसी योजना में बरती जा रही लापरवाही का एकमात्र नमूना नहीं हैै। सूत्र बताते हैं कि नवहट्टा तटबंध से जुड़े तकरीबन 25 से भी अधिक स्पर व स्टर्ड स्पर जर्जर स्थिति में है। जो कि योजना का पोल खोलने के लिए काफी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अवैध कमाई का मौका एंटी इरोजन कार्य से ज्यादा फलड फाइटिंग में ज्यादा मिलता है। यही वजह है कि हमेशा की तरह अबकी बार ठेकेदार व इंजीनियर्स की टीम भी फल्ड फाइटिंग पर ही ज्यादा फोकस कर रही हैं। 




---कुमार गौरव---

कोई टिप्पणी नहीं: