उत्तर प्रदेश में राज्य लोकसेवा आयोग की नई आरक्षण व्यवस्था खत्म कर दी गई है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के कड़े रुख के बाद उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने शुक्रवार को त्रि-स्तरीय आरक्षण व्यवस्था को खत्म करते हुए पीसीएस-2011 की मुख्य परीक्षा का परिणाम निरस्त कर दिया. इससे अब आयोग की परीक्षाओं में पुरानी व्यवस्था बहाल होने की उम्मीद बढ़ गयी है. इससे पूर्व शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे आंदोलित प्रतियोगी छात्रों का एक प्रतिनिधिमण्डल सपा महिला सभा की पूर्व अध्यक्ष रंजना वाजपेयी के नेतृत्व में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से उनके आवास पर मिला.
श्री यादव ने आंदोलित छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का आश्वासन दिया है. उन्होंने मौके पर ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा उनके प्रमुख सचिव को फोन कर आंदोलित छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की कार्यवाही करने को कहा. सपा प्रमुख से मुलाकात के बाद छात्रों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है. सपा प्रमुख से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमण्डल में इलाहाबाद विवि छात्रसंघ के पदाधिकारी देवमणि मिश्र, अभिषेक सोनू, शेषमणि ओझा, संजय सिंह, मनोज सिंह और राकेश मिश्र शामिल थे.
छात्र नेताओं ने श्री यादव को बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य लोक लोक सेवा आयोग द्वारा त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था लागू कर दिये जाने से सामान्य वर्ग के छात्रों को नौकरी मिलने की संभावना नगण्य हो गयी है. इसका विरोध करने के लिए आंदोलित प्रतियोगी छात्रों को पुलिस ने बर्बरता से पीटा. इतना ही नहीं पुलिस ने मनमाने तरीके से तमाम अपराधिक धाराओं में छात्रों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिए हैं. छात्रों ने कहा कि उनके (मुलायम सिंह यादव) मुख्यमंत्रित्वकाल में ही लोकसेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा में कोडिंग व्यवस्था लागू की गयी थी. अब आयोग ने इसे बदलकर नाम दर्ज करने की व्यवस्था की है.nसपा मुखिया ने छात्रों से कहा कि वे पुरानी आरक्षण व्यवस्था के पक्षधर हैं. लोकसेवा आयोग ने सरकार को विश्वास में लिये बगैर आरक्षण व्यवस्था लागू की है. फिलहाल प्रकरण न्यायालय में लम्बित है. उन्होंने कहा कि आयोग की प्रतियोगी परीक्षा में कोड की व्यवस्था फिर बहाल करायी जायेगी.
इस प्रकरण को लेकर सरकार की हो रही किरकिरी के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को ही राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डा. अनिल कुमार यादव और सचिव अनिल यादव को तलब किया था. मुख्यमंत्री ने सचिव अनिल यादव को उनके पद से हटा दिया था. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष डा. अनिल कुमार यादव से आरक्षण व्यवस्था में बदलाव पर खासी नाराजगी जाहिर की थी. मगर उन्होंने उन्हें निर्देश दिया कि फिलहाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करें. यदि फैसला आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ आता है तो सरकार उसके खिलाफ ऊपर की अदालत में पैरवी नहीं करेगी. इसके बावजूद सरकार सामान्य छात्रों के आक्रोश को देखते हुए लोकसभा चुनाव से पूर्व आयोग के इस तरह के फैसले को राजनीतिक तौर पर पार्टी के प्रतिकूल मान रही है. विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा के प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करके सामान्य वर्ग का जो समर्थन हासिल किया था, उससे कहीं ज्यादा आयोग के इस फैसले से नुकसान हो जाता.
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