थाना के पूर्व उपनिरीक्षक ने 83 से अधिक लोगों की हत्या कबूला. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 3 जुलाई 2013

थाना के पूर्व उपनिरीक्षक ने 83 से अधिक लोगों की हत्या कबूला.

पंजाब में आतंकवाद के दौर में अमृतसर जिले में आतंक वादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले का गढ़ माना जाने वाला चौक मेहता क्षेत्र के थाना के पूर्व एसएचओ उपनिरीक्षक सुरजीत सिंह ने लंबे समय से मन पर लिये बोझ को हल्का करते हुये कबूल किया है कि उसने आतंकवादियों, निर्दोष व्यक्तियों सहित 83 से अधिक लोगों की हत्या की थी।

आतंकवाद का सफाया करने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्वपुलिस महानिदेशक के पीएस गिल के निकट रहे पुलिस उपनिरीक्षक सुरजीत सिंह ने कल यहां पत्रकारों को बताया कि उन्हें अपनी जान को खतरा है और उन्हें सुरक्षा मुहैया करायी जाये। आतंकवाद के दौरान हुई कई फर्जी मुठभेडों में मारे गये कई पंजाबी युवक वाकई निर्दोष भी थे और उन युवकों के तथाकथित आतंकवादी संगठनों से कोई संबंध नहीं थे। उन्होंने यह भी माना कि मुठभेडों की आड़ में निजी दुश्मनी भी निकाली गई।

पुलिस से सुरक्षा मांगने वाले सुरजीत के अनुसार उन्हें ऐसे अभियानों में हिस्सा लेने पर पंजाब पुलिस की ओर से नौकरी में प्रमोशन का भी प्रलोभन दिया गया था लेकिन पदोन्नति का वादा आज तक पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि उनका जीवन खतरे में है तथा इस मामले की पूरी जांच सीबीआई करे ताकि सच्चाई सामने आ सके। सुरजीत सिंह नवंबर 1989 से पंजाब पुलिस की सेवा में हैं। उन्हें ऐसे लोगों की नाम के साथ सूचियां दी जाती थीं। जिन्हें उठाना और मारना था। 
   
उन्होंने आरोप लगाया कि यदि इस मामले की उचित जांच की जाती तो न जाने कितने पुलिस अधिकारी ऐसे अपराधों में दोषी पाये जाते। मानवाधिकार कार्यकर्ता एस जसवंत सिंह खालडा ने अमृतसर साहिब इलाके में पच्चीस हजार अवैध अंत्येष्टियों को खुलासा किया था। बाद में खालडा का अपहरण कर पंजाब पुलिस ने उनकी हत्या कर दी। खालडा की हत्या के आदेश भी पूर्व पुलिस प्रमुख केपीएस गिल ने दिये थे । पंजाब मानवाधिकार के उपाध्यक्ष किरपाल सिंह रंधावा ने आग्रह किया है कि सुरजीत के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच करायी जाये। उन्होंने शीर्ष अदालत से इस केस को गंभीरता से लेते हुये सच्चाई सामने लाने के लिये जांच के आदेश दे ताकि मारे गये।निर्दोषों को न्याय मिल सके।

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