बिहार के प्राथमिक शिक्षक संघ के आान के बाद मध्याह्न् भोजन का शिक्षकों का बहिष्कार शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी है। राज्य के करीब तीन लाख शिक्षक मध्याह्न् भोजन के क्रियान्वयन से खुद को अलग कर लिया है। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षकों से बहिष्कार के निर्णय से लौटने की अपील की है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा ने दावा किया है कि संघ के इस निर्णय के कारण अधिकांश विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन योजना पर असर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि यह उच्चतम न्यायलय का निर्णय है, परंतु क्या उच्चतम न्ययालय यह कही है कि इस कार्य में शिक्षकों को लगाया जाए? उन्होंने कहा कि वह भी मध्याह्न् भोजन के विरोधी नहीं है, परंतु यह कार्य स्वयंसेवी संस्थाओं को दिया जाना चाहिए।
उनका मानना है कि मध्याह्न् भोजन में शिक्षकों को लगे होने से एक ओर जहां शिक्षकों की बदनामी हो रही है, वहीं शिक्षकों के अन्य कार्यो में लगे होने के कारण शैक्षणिक कार्य भी प्रभावित होता है। इधर, राज्य के मध्याह्न् भोजन के निदेशक आऱ लक्ष्मणन का दावा है कि राज्य में शिक्षकों के बहिष्कार के कारण 4,600 से ज्यादा विद्यालयों में करीब 10 लाख बच्चे शुक्रवार को मध्याह्न् भोजन से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि बहिष्कार का बहुत असर नहीं नजर आ रहा है। गौरतलब है कि राज्य के करीब 70,000 विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन चलाया जाता है, जिससे करीब डेढ़ करोड़ बच्चे लाभान्वित होते हैं।
इधर, मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजन बनाना सहज और आसान काम नहीं है। इस काम में ज्यादा लोगों को लगाया जाना चाहिए। यह योजना बिहार की योजना के साथ राष्ट्रीय योजना है। इसको बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाए तब तक शिक्षकों को इसमें सहयोग करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सारण जिले के धर्मसती गंडामन गांव के प्राथमिक विद्यालय में मध्याह्न् भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत मामले में मुख्य आरोपी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मीना देवी का बनाया गया है जो वर्तमान समय में न्यायिक हिरासत में है।
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