नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने गुरुवार को कहा कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहें तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता चंदन मित्रा की भारत रत्न लौटाने की मांग मानने के लिए तैयार हैं। अमर्त्य सेन ने टाइम्स नाउ टीवी चैनल से कहा, "चंदन मित्रा शायद यह नहीं जानते कि मुझे भारत रत्न से भाजपा नीत सरकार ने अलंकृत किया था और यह सम्मान मुझे अटल बिहारी वाजपेयी ने सौंपा था। यदि वाजपेयी मुझसे वापस लेना चाहें तो मैं निश्चितरूप से इसे लौटा दूंगा।" 'इस प्रकार की मांग को दुर्भाग्यपूर्ण और बेकार' करार देते हुए सेन ने कहा, "यह मित्रा की निजी राय है।" सेन ने कहा कि मोदी के बारे में टिप्पणी पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी से सीखने के लिए कई चीजें हैं, लेकिन मैं नहीं मानता कि वे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे। मैंने जो कुछ कहा उसे लेकर कोई पछतावा नहीं है। मेरी टिप्पणी का संबंध सिर्फ नरेंद्र मोदी से है, भाजपा से नहीं।" मशहूर अर्थशास्त्री ने कहा कि उनकी मोदी के बारे में टिप्पणी का मतलब यह नहीं कि वे कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "एक भारतीय नागरिक होने के नाते मुझे बोलने का हक है। मैं अपेक्षित प्रधानमंत्री के बारे में बात कर सकता हूं। मुझे भारतीय होने पर गर्व है। धर्मनिरपेक्षता हमारी परंपरा रही है।" सेन ने एक हालिया टीवी साक्षात्कार के दौरान कहा था, "एक भारतीय नागरिक होने के नाते मैं मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहता। उन्होंने अल्पसंख्यकों में सुरक्षा बोध पैदा करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है।"
इस बयान के बाद मित्रा ने सेन से भारत रत्न वापस लेने की मांग कर डाली। सेन को भारत रत्न से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल के दौरान अलंकृत किया गया था।
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