ग्वाटेमाला, मध्य अमेरिका का एक ऐसा देश है जहां आज भी गरीबों और अमीरों के बीच गहरी खाई मौजूद है, और महिलाएं हाशिये पर हैं। उनके खिलाफ अपराध आम बात है और उनमें सारक्षरता की दर भी 15 साल की उम्र तक केवल 31.1 प्रतिशत है। वहां एक महिला ने ब्लॉग लेखन का काम शुरू किया है, जो खूब चर्चित हो रहा है। उसके ब्लॉग में मुख्य रूप से फैशन, चैरिटी और आदर्श गृहिणी बनने की चर्चाएं शामिल होती हैं, जिसे आलोचक ग्वाटेमाला की वास्तविकता से परे बताते हैं। उनका कहना है कि ग्वाटेमाला के अधिकांश लोग जहां महीने में 300 डॉलर से भी कम कमा पाते हैं, वहां फैशन, चैरिटी की बातें पलायनवादी सोच को दर्शाती हैं। लेकिन अंग्रेजी में होने के बावजूद इसे पढ़ने वालों की अच्छी-खासी तादाद बताती है कि लोग देश में हिंसा, अस्थिरता, गरीबी से ऊब चुके हैं और वे कुछ नया पढ़ना व सोचना चाहते हैं।
'अलजजीरा' की एक रपट के अनुसार, ब्लॉग लेखन का यह काम 27 साल की बारबरा स्टाशिन ने शुरू किया है, जो स्वयं गृहिणी हैं। ब्लॉग की कामयाबी ने स्टाशिन को टेलीविजन पर पहुचाया और आज वह गुअरलेन कंपनी के सौंदर्य उत्पादों का चेहरा बन चुकी हैं। बताया जाता है कि उनके ब्लॉग को 60,000 से अधिक लोग देख व पढ़ चुके हैं।
आलोचकों ने हालांकि स्टाशिन के ब्लॉग को वास्तविकता से परे बताया है, लेकिन समाजशास्त्रियों ने इसकी सराहना की है। हाल ही में ग्वाटेमाला में लैंगिक आधार पर होने वाली हिंसा के प्रभाव का अध्ययन करने यहां पहुंचीं समाजशास्त्री व सिएटल विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर सेरेना कॉस्ग्रोव ने कहा, "वह अपने ब्लॉग के जरिए एक महिला होने के मायने बता रही हैं, खासकर ऐसे देश में जहां एक महिला होना किसी अपराध की तरह है।"
स्टाशिन का ब्लॉग हालांकि आज खूब चर्चित हो रहा है, लेकिन उन्होंने इसकी शुरुआत किसी क्रांतिकारी सोच के तहत नहीं की थी। इसे शुरू करने की वजह पूरी तरह निजी थी। दरअसल, बोस्टन से लौटने के बाद वह वहीं छूट चुके पूर्व मंगेतर को अपनी नई जिंदगी के बारे में बताना चाहती थीं। यहां उनकी शादी एक बड़े व्यवसायी से हो गई थी, जिनका परिवार फार्मास्युटिकल क्षेत्र में काम करता है। उन्होंने ही स्टाशिन को लिखने का विचार दिया, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
वर्ष 2011 में ब्लॉग शुरू करने वाली स्टाशिन ने कहा, "मैंने खुद को गृहिणी के रूप में कभी नहीं देखा। मैं अच्छा खाना नहीं पका पाती। मैंने लिखना इसलिए शुरू किया, क्योंकि मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं था।" स्टाशिन के मुताबिक, गृहिणी होना उनके लिए कभी आसान नहीं रहा, बल्कि हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा और इसलिए उन्होंने अपने ब्लॉग का नाम 'द हाउसवाइफ वानाबी' रखा।
ग्वाटेमाला में महिलाओं का कामकाजी नहीं, बल्कि गृहिणी होना आम है। वर्ष 1998 तक पतियों को अपनी पत्नियों को काम करने से रोकने का अधिकार था। वर्ष 1998 में हालांकि इस कानून को तो समाप्त कर दिया गया, लेकिन नए कानून में यह प्रावधान मौजूद है कि वे तभी काम कर सकती हैं, जब इससे उनके बच्चों की परवरिश में कोई बाधा उत्पन्न न हो।
यह वही देश है, जहां हर साल करीब 700 महिलाओं की हत्या कर दी जाती है। महिलाओं की हत्या को अप्रैल 2008 तक अपराध नहीं माना जाता था। अप्रैल 2008 में कानून बनाकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा को दंडनीय अपराध बनाया गया।
सामाजिक मामलों में आज भी रूढ़िवादी सोच रखने वाले ग्वाटेमाला में स्टानिश का ब्लॉग 'द हाउसवाइफ वानाबी' महिलाओं को एक नई रोशनी दिखा रहा है, जिसे पढ़ने वालों में करीब 80 प्रतिशत महिलाएं हैं और उनकी उम्र 24-35 साल के बीच है।
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