बिहार में रेल हादसा, 35 कांवड़ियों की मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 19 अगस्त 2013

बिहार में रेल हादसा, 35 कांवड़ियों की मौत


saharsa
बिहार के सहरसा-मानसी रेलखंड के धमारा घाट रेलवे स्टेशन पर सोमवार सुबह राजरानी एक्सप्रेस की चपेट में आकर कम से कम 35 कांवड़ियों की मौत हो गई है। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने रेलगाड़ी में आग लगा दी, जिससे चार डिब्बे पूरी तरह खाक हो गए। इस बीच, दुर्घटना के बाद लोगों की पिटाई से बुरी तरह घायल हुए रेलगाड़ी चालक की मौत हो गई है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। 

बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एस़ क़े भारद्वाज ने इस घटना में कम से कम 35 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सहरसा, मधेपुरा सहित आसपास के जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल घटनास्थल पर भेज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वहां स्थिति तनावपूर्ण है। उन्होंने मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका व्यक्त की है। पुलिस के अनुसार, कांवड़िए सुबह समस्तीपुर रेल मंडल के धमारा घाट के आसपास स्थित कात्यायिनी स्थान और मतेश्वर धाम जा रहे थे। 

समस्तीपुर रेल मंडल के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक अरुण मलिक ने बताया कि धमारा घाट पर तीन लाइनें हैं। सुबह दो लाइनों पर यात्री रेलगाड़ी खड़ी थी और इस दौरान बीच की लाइन से गुजरी राजरानी एक्सप्रेस की चपेट में आकर कांवड़ियों की मौत हो गई। यह रेलगाड़ी सहरसा से पटना जा रही थी। दुर्घटना सुबह आठ से 8.30 बजे के बीच हुई है। इस रेलगाड़ी का ठहराव धमारा में नहीं होता।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अभी तक यहां राहत कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया है कि घटनास्थल पर विधि व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है। घटना के बाद आक्रोशित लोगों की पिटाई से एक चालक की मौत हो गई है, जबकि एक चालक गंभीर रूप से घायल है। चालक की मौत की हालांकि, पुष्टि नहीं हुई है। मलिक ने बताया कि सहरसा से राहत रेलगाड़ी घटनास्थल पर रवाना कर दी गई है तथा समस्तीपुर से भी अधिकारियों का दल रवाना किया गया है। 

रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार, आक्रोशित लोगों ने राजरानी एक्सप्रेस में आग लगा दी, जिससे चार डिब्बे पूरी तरह जल गए हैं। घटनास्थल पर पहुंचने के लिए केवल रेल ही एकमात्र साधन है, जिस कारण वरिष्ठ अधिकारियों को पहुंचने में परेशानी हो रही है। धमारा घाट स्टेशन के एक ओर कोशी नदी है, जबकि एक तरफ बागमती नदी है। बताया जाता है कि घटनास्थल से कुछ दूरी पर स्थित कात्यायनी स्थान में पर सावन के सोमवार को मेले का आयोजन किया जाता है।

1 टिप्पणी:

रविकर ने कहा…

होते हरदम हादसे, हरदम हाहाकार |
भूखे खाके नहाके, जल थल नभ में मार |
जल थल नभ में मार, सैकड़ों हरदिन मरते |
मस्त रहे सरकार, सियासतदान अकड़ते |
आतंकी चुपचाप, देखते पब्लिक रोते |
रोकें क्रिया-कलाप, हादसे खुद ही होते ||