बिहार : मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 17 अगस्त 2013

बिहार : मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं

  • शादी का प्रलोभन देकर लगातार दुष्कर्म करने वाले पहचान करने से इंकार
  • दरदर भटक कर फरियाद करने को मजबूर रिंकी कुमारी

गया। शादी का प्रलोभन देकर लगातार दुष्कर्म करने वाले आलोक भारती बदल गये हैं। अब महादलित फगु दास की पुत्री रिंकी कुमारी को पहचान करने से इंकार कर दे रहे हैं। बोधगया में स्थित विवेकानंद टेक्निकल ट्रेनिंग कॉलेज, केन्दुई, बोधगया,बाईपास से एक साल के ओ.टी.अस्सिटेंट में डिप्लोमा कोर्स की हैं। गया में तीन माह रहकर लगातार दुष्कर्म करते रहे। ऐसा ही जहानाबाद जिले में तीन माह और पटना जिले में 9 माह तक मनमानी किये।

महादलित फगु दास की पुत्री रिंकी कुमारी हैं। अरवल जिले के कुर्था थानान्तर्गत निधवां गांव की रहने वाली हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत सुनील कुमार चौधरी के पुत्र आलोक भारती हैं। नया टोला,राजा बाजार, जहानाबाद के मूल निवासी हैं। सी.आर.पी.एफ.में आलोक भारती की नौकरी वर्ष 2012 में लगी है। अभी उनका पदस्थापन गुड़गांव, हरियाणा में हुआ है। इनका बल संख्या 125300033 है। 

महादलित रिंकी कुमारी का आरोप है कि शादी की बात कहकर आलोक भारती शारीरिक संबंध बनाते रहे। अपने परिवार के लोगों को अंधकार में रखकर आलोक भारती ने वर्ष 2011 से ही गया,जहानाबाद और पटना में रखकर शारीरिक शोषण करते रहे। इसका विरोध करने पर एक बार घर के अंदर और दूसरी बार गया जिले के बेलागंज में स्थित काली मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर नूतन वर्ष के दिन 1 जनवरी,2012 को मांग में सिंधुर डालकर शादी रचाया। तीसरी बार सी.आर.पी.एफ. के अफसरों से माह भर की छुट्टी लेकर हिन्दू धर्मरीति से विवाह करने का वादा किया जो आजतक अपने वादे पर खरा नहीं उतरा। 

रिंकी कुमारी का कहना है कि अलग-अलग जगहों में ले जाकर शारीरिक संबंध बनाने से दो बार गर्भवर्ती हो गयी। एक बार गया में और दूसरी बार पटना में गर्भपात कराया। खुद आलोक भारती दवा की दुकान से दवा खरीदकर लाते और खुद ही दवा के सेवन कराते थे। हां, भोलेभाले चेहरे वाले आलोक भारती जहां जाते मुझे पत्नी के रूप में पेश किया करते थे। इसके अलावे सामने आने वाले सभी लोगों से धर्मपत्नी कहकर परिचय भी कराते थे। इसी क्रम में 31 दिसंबर,2012 को मुझे सी.आर.पी.एफ. के कैम्प, गुड़गांव बुलाया। वहां पर जाने से कोर्ट में जाकर कोर्ट मैरेज करना था। छुट्टी नहीं मिलने का बहाना बनाकर मुझे मेरे पतिदेव आलोक भारती ने वापस भेज दिया। बिहार जाने के पहले दिल्ली में रहने वाली मामी के घर में 1 से 5 जनवरी,2013 तक रहीं।
  
इसके बाद दिल्ली से 6 जनवरी,2013 को पुनः गुडगांव में स्थित सी.आर.पी.एफ. के कैम्प में चली गयीं। यहां के अफसरों से आपबीती बयान की। अफसरों ने आलोक भारती को बुलाया। अफसरों के बुलावा पर आलोक भारती आ गये। उसके बाद अफसरों के सामने मुझे पहचानने से इंकार कर दिया। कुछ शुभचिंतकों ने मुझे कहने लगे कि 100 नम्बर पर डायल करके स्थानीय थाना की पुलिस को सूचना दें। सूचना देने के बाद तत्क्षण पुलिस आ पहुंची। बदरपुर थाना की पुलिस ने आकर समझौता कराकर चल दी। समझौता में आलोक भारती शादी करने के लिए तैयार हो गये। अपने पिताश्री सुनील कुमार चौधरी से आलोक भारती मोबाइल से बात किये। तब मेरे ससुर ने हिन्दु रीति रिवाज से शादी करने के लिए बिहार बुलाया। इस ग्राउण्ड पर अफसरों ने एक माह की छुट्टी आलोक भारती को मंजूर कर दिये। अफसरों के द्वारा छुट्टी लेकर किसी अन्य ट्रेन पकड़कर बिहार लौट गए। मैं अकेली बिहार आ गयी।
   



(आलोक कुमार)
बिहार 

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