देश के दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी बैंक ने बुधवार को बेस रेट 0.20 फीसदी बढ़ाकर 9.8 फीसदी कर दिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 30 जुलाई 2013 को पहले क्वार्टर की मॉनेटरी पॉलिसी को रिव्यू किया था। इसके बाद एचडीएफसी बैंक बेस रेट रिवाइज करने वाला दूसरा प्राइवेट बैंक है। इससे पहले यस बैंक ने बेस रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 10.75 फीसदी किया था।
एचडीएफसी बैंक ने 7 दिन से 6 महीने के डिपॉजिट के लिए इंटरेस्ट रेट 1 फीसदी बढ़ाया है। एक्सिस बैंक ने भी कुछ दिनों पहले शॉर्ट टर्म डिपॉजिट रेट 0.5-2.25 फीसदी बढ़ाया था। आरबीआई ने रुपए में गिरावट रोकने के लिए बैंकिंग सिस्टम में कैश कम करने के कई उपाय किए हैं। इससे इंटरेस्ट रेट बढ़ता है। मई से लेकर अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 12.6 फीसदी गिरा है। रुपए की वैल्यू कम होने से रोकने के लिए आरबीआई ने जुलाई में लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) के तहत बैंकों की लोन लिमिट कम कर दी थी। रिजर्व बैंक ने मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट भी 2 फीसदी बढ़ाकर 10.25 फीसदी कर दिया है। अगर रिजर्व बैंक इन उपायों को लंबे समय तक बनाए रखता है, तो लोन महंगा भी हो सकता है।
एक्सिस बैंक की एमडी और सीईओ शिखा शर्मा ने बताया, 'अगर हालात लंबे समय तक ऐसे ही रहे, तो बैंकों को लोन महंगा करना होगा।' शर्मा के मुताबिक, इंटरेस्ट रेट काफी हद तक डिमांड-सप्लाई पर निर्भर करता है। हालांकि, लंबे अरसे तक लिक्विडिटी यानी बैंकिंग सिस्टम में कैश कम करने के उपाय से बैंकांे की फंडिंग कॉस्ट बढ़ जाएगी। बैंकर्स के मुताबिक, आरबीआई के कदमों से होलसेल फंडिंग पर निर्भर रहने वाले इंस्टीट्यूशंस को नुकसान होगा। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के रीजनल चीफ एग्जिक्यूटिव, इंडिया एंड साउथ एशिया सुनील कौशल कहते हैं, 'आरबीआई का यही स्टैंड बना रहता है, तो इससे बैंकों की डिपॉजिट कॉस्ट बढ़ेगी। इसका असर लोन पर भी होगा।' अभी तक किसी भी सरकारी बैंक ने डिपॉजिट या लेंडिंग रेट नहीं बढ़ाए हैं। आरबीआई ने 30 जुलाई के मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में पॉलिसी रेट में बदलाव नहीं किया था। उस वक्त स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा था कि वह लेंडिंग रेट्स बढ़ाने से पहले दो-तीन सप्ताह इंतजार कर सकते हैं।
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