भारत ने नियंत्रण रेखा पर पांच भारतीय सैनिकों की हत्या में पाकिस्तानी सैनिकों का हाथ होने पर कडा़ रोष जाहिर करते हुए गुरुवार को कहा कि पडो़सी देश उसके संयम को हल्के से नहीं ले तथा आतंकवादी संगठनों और ढांचे को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्रवाई करे।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इस घटना को लेकर देश में संसद से सड़क तक उपजे जनाक्रोश से सुर मिलाते हुए कहा कि हमारी सीमा के अंदर छह अगस्त को भारतीय गश्ती दल पर हुये हमले में पाकिस्तानी सेना का विशेष दल शामिल था। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना के समर्थन, सहायता और सुविधा मुहैया कराये बिना और उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना पाकिस्तान की ओर से कुछ भी नहीं होता।
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि हमारे संयम को हल्के से नहीं लिया जाना चाहिए। इस घटना का नियंत्रण रेखा पर हमारे व्यवहार तथा पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों पर असर पडे़गा। उन्होंने साफ शव्दों में कहा कि पाकिस्तान इस त्रासदी तथा इस वर्ष के शुरू में दो सैनिकों की निर्मम हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करे।
एंटनी ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादी नेटवर्क, संगठनों और ढांचे को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध कार्रवाई करनी चाहिए और नवंबर 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को शीघ्र सजा दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए। इससे पहले रक्षा मंत्री ने मंगलवार को सदन में अपने बयान में हमले के लिये पाकिस्तानी सेना को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया था। उन्होंने कहा था कि यह हमला आतंकवादियों तथा पाकिस्तानी सेना की वर्दी में आये कुछ लोगों ने किया था।
विपक्ष ने बुधवार को उन पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुये कहा था कि रक्षा मंत्रालय के बयान में हमले में पाकिस्तानी सेना के शामिल होने की बात कही गयी है, लेकिन रक्षा मंत्री ने ऐसा नहीं कह कर पाकिस्तानी सेना को बचाने की कोशिश की है। इसे लेकर हंगामे के कारण सदन में कामकाज नहीं हो पाया था।लेकिन आज (गुरुवार को) रक्षा मंत्री के बयान के बाद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि एंटनी ने यह बयान देकर अपनी पहले की गलती को सुधारा है और पूरा सदन एक स्वर से उनके बयान का समर्थन करते हुये पाकिस्तान को यह बताना चाहता है कि भविष्य में वह ऐसा व्यवहार नहीं करे।
स्वराज ने कहा कि रक्षा मंत्री को भविष्य में ऐसी गलती नहीं करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राजनीति नहीं कर रही थी, बल्कि रक्षा मंत्री की ओर से जो गलती हुयी थी उसे सुधारने की कोशिश कर रही थी। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने रक्षा मंत्री के बयान पर सदन में चर्चा कराने की मांग की। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि यह बयान नियम 372 के तहत रक्षा मंत्री की ओर से स्वत: दिया गया है और इसलिये इस पर चर्चा नहीं करायी जा सकती। अगर सदस्य चर्चा चाहते हैं तो वे इसके लिये नोटिस दे सकते हैं।
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