तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिये जाने की घोषणा के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद कीर्ति झा आजाद ने मिथिलांचल को अलग राज्य बनाने की मांग का पुरजोर समर्थन करते हुए आज कहा कि छोटे-छोटे राज्यों के निर्माण से ही क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास की गति में तेजी आ सकती है और इससे सामाजिक असंतुलन भी खत्म होगा।
आजाद ने कहा कि लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और एतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण मिथिलांचल पूर्णत: राज्य बनने का अधिकार रखता है और यह समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि पृथक मिथिला राज्य की मांग इस क्षेत्र के लोगों को आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक आजादी के लिए जरुरी है।
भाजपा सांसद ने मिथिला राज्य की मांग के औचित्य पर कहा कि त्रेता युग के समय से ही मिथिला राज का गौरवशाली अस्तित्व रहा है और राजा जनक न्याय, दर्शन तथा त्याग के लिए जाने जाते थे। जगत जननी सीता को मिथिला राज्य की धरोहर और संस्कृति का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि मिथिला की संस्कृति, गौरव, कला तथा मर्यादा की विश्व में अलग पहचान थी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के पहले भी दरभंगा राज का अस्तित्व रहा है और आज भी राजमहलों के अवशेष इसके गवाह है।
मिथिला राज्य की मांग को लेकर पिछले 25 वर्षों से आंदोलन कर रहे अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष डां० बैजनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि अलग मिथिला राज्य की मांग को लेकर पांच अगस्त से शुरू हो रहे संसद के सत्र से लेकर सत्रांत तक संसद के सामने धरना-प्रदर्शन कि या जायेगा। उन्होंने दरभंगा, तिरहुत, कोशी, पूर्णियां, मुंगेर, भागलपुर और झारखंड के दुमका प्रमंडल को मिलाकर अलग मिथिला राज्य के गठन की मांग की है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें