म्यांमार के सैनिकों ने मणिपुर से लगी सीमा पर एक सैन्य चौकी का निर्माण करने और सीमा पर बाड़बंदी करने की कोशिश की है। भारत ने म्यांमार से दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण के मुद्दे के हल के लिए एक संयुक्त सीमा कार्यकारी समूह (जेबीडब्ल्यूजी) का गठन करने को कहा है।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हालांकि जेबीडब्ल्यूजी गठित करने का प्रस्ताव पहले से है, पर भारत ने इस मुद्दे का समाधान करने के लिए एक समूह गठित किए जाने की जरूरत को दोहराया है। इस बात से भारत के राजदूत गौतम मुखोपाध्याय के जरिए म्यांमार को अवगत कराया गया है। हम इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की उम्मीद करते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के चंदेल जिले में मोरेह शहर के पास हाल ही में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास म्यांमार ने बाड़ लगाने और शिविर का निर्माण करने के लिए निर्माण सामग्री रखी थी।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह के अनुरोध पर केंद्र ने इस मुद्दे को म्यांमार के समक्ष उठाया, जिसने सारी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी। उन्होंने बताया कि म्यांमार के रुख पर स्थानीय गांवों के प्रधानों और जिला अधिकारियों ने ऐतराज जताया, क्योंकि उन्हें लगा कि यदि पड़ोसी देश बाड़ निर्माण कार्य पर आगे बढ़ता है, तो मणिपुर अपना भूक्षेत्र गंवा देगा।
अधिकारियों के मुताबिक, म्यांमार सेना ने पिछले हफ्ते होलेफई गांव में एक अस्थायी पलटन बेस स्थापित करने के लिए जमीनी काम करने की शुरुआत की थी। यह गांव मोरेह पुलिस थाना 3 किमी दक्षिण में सीमा खंभा संख्या 76 के पास स्थित है। इस बीच, असम राइफल्स ने गृह मंत्रालय को बताया है कि म्यांमार के सैनिक भारतीय सरजमीं में नहीं घुसे हैं।
पिछले हफ्ते म्यांमार की गतिविधियां प्रकाश में आने पर उसने बताया कि हमने एक पलटन मुख्यालय के लिए सीमा खंभा संख्या 76 पर म्यांमार के सैनिकों को पेड़ गिराने से रोक दिया, क्योंकि इस खंभे के क्षेत्र का अभी तक निर्धारण नहीं हुआ है, बहरहाल, म्यांमार के सैनिक भारतीय सरजमीं में नहीं घुसे। सूत्रों ने इंफाल में बताया कि मणिपुर के राज्यपाल अश्विनी कुमार ने भी चंदेल जिले में भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र का मंगलवार को दौरा किया और मोरेह से लगे 10 किलोमीटर लंबे क्षेत्र की स्थिति का जायजा लिया, जहां म्यांमार बाड़बंदी की कोशिश कर रहा है।
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