वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने रुपये के घटते मूल्य और बढ़ती महंगाई से जूझती अर्थव्यवस्था पर विपक्ष के प्रहारों को झेलते हुए कहा, अगस्त 2012 को जब मैंने वित्तमंत्री का पद संभाला, मुझे पता था कि मैं एक मुश्किल काम पर लौट रहा हूं। लोकसभा में आर्थिक हालात पर चर्चा के दौरान उन्होंने अधिकांश मौजूदा आर्थिक संकटों के लिए वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय मंदी के कारण उपजी समस्याओं से पार पाने के मकसद से उद्योगों की मदद के लिए दिए गए प्रोत्साहन पैकेज को दिया।
उद्योगों को जब प्रोत्साहन दिया गया उस समय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे। उनके स्थान पर चिदंबरम दोबारा अगस्त 2012 में वित्तमंत्री बने थे।
अपनी वापसी को याद करते हुए चिदंबरम ने कहा, राजकोषीय घाटा सीमा को पार कर गया था। चालू खाता घाटा बढ़ गया था। ये दो मुख्य चुनौतियां थीं, जिसका हमें सामना करना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि 22 मई 2013 तक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा था लेकिन इसके बाद अनपेक्षित घटनाक्रम, जिसमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को कम करने की घोषणा, उसके बाद उभरते बाजार में घबराहट फैल गई। उन्होंने रुपये में गिरावट आने की वजह फेडरल रिजर्व की घोषणा को बताया।
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