सरकार से हटकर बैंकों की नीतियां नहीं हो सकती : चिदंबरम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 18 अगस्त 2013

सरकार से हटकर बैंकों की नीतियां नहीं हो सकती : चिदंबरम

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि बैंकों की नीतियां सरकार की नीतियों से हटकर नहीं हो सकती। सरकार चाहती है कि बैंकों की देशभर में अधिक शाखाएं होनी चाहिए, ताकि खेती, व्यवसाय और शिक्षा के लिए धन चाहने वालों की जरूरतें पूरी हो सकें।

शिवगंगा के निकट वानियांगुडी में इंडियन ओवरसीज बैंक की 3,000वीं शाखा का उद्घाटन करते हुए चिदंबरम ने कहा, सरकार...बैंकों और बैंक प्रबंधकों की अलग-अलग नीतियां नहीं हो सकतीं। सभी को सरकार की नीतियों का अनुसरण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 1970 में जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ, उस समय उनकी अधिक शाखाएं नहीं थीं, लेकिन आज शाखाएं खोलने की गति कहीं अधिक है। हमने सभी बैंकों से कहा है कि वे शाखाएं खोलें और वह ऐसा ही करेंगे। वित्तमंत्री ने कहा कि प्रत्येक कमाई करने वाले व्यक्ति का अधिकार है कि उसे बैंकिंग सेवाएं मिलें। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी कर्ज लेने की योग्यता रखता है, उसे बैंकों से जरूरत के लिए कर्ज मिले।

चिदंबरम ने कहा कि बैंकों को ग्रामीण इलाकों में शाखाएं खोलने के लिए इसलिए कहा जा रहा है कि लोगों को अपने उद्यम शुरू करने या फिर शिक्षा अथवा व्यवसाय के लिए उनकी जरूरत है।

कोई टिप्पणी नहीं: