ग्रह-नक्षत्रों को प्रभावित करता है, साथियों का संग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 4 अगस्त 2013

ग्रह-नक्षत्रों को प्रभावित करता है, साथियों का संग

व्यक्ति की जिन्दगी में जो कुछ होता है उसका सीधा और गहरा प्रभाव चरित्र और कर्मयोग पर पड़ता है। परिवेशीय घटनाओं-दुर्घटनाओं से लेकर घर-परिवार के संस्कारों, रीति-रिवाज, रहन-सहन और कुटुम्बियों से लेकर मित्रों, परिचितों और उन सभी का प्रभाव हम पर पड़ता है जिनके साथ हम रहते हैं अथवा जिस किस्म के लोगों से हमारा साथ होता है। इसी प्रकार हर व्यक्ति के जीवन में जन्मकुण्डली में स्थापित ग्रह-नक्षत्र, योग, करण आदि से लेकर गोचर में ग्रहों की स्थिति को भी हमारा परिवेश खूब प्रभावित करता है।  हमारे आस-पास जिस मनोविज्ञान और वृत्तियों वाले लोग होते हैं उन्हीं के हिसाब से हमारे जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का न्यूनाधिक अच्छा-बुरा प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता ही है। इसे हम भले ही स्वीकार न करें लेकिन इस सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता है कि हमारे संगी-साथियों के चाल-चलन और चरित्र के तमाम कारक हमारे ग्रह-नक्षत्रों की चाल को प्रभावित करते ही हैं।

कई बार हम लाख चाहते हुए भी अपने लक्ष्यों को पाने में सफल नहीं हो पाते हैं और कुढ़ते रहते हैं। दूसरी स्थितियों में हमारे थोड़े से प्रयासों से ही सफलता हमारे करीब आ जाती है। इसके पीछे ज्योतिषीय आधार के अनुसार भाग्य और कर्म का प्रभाव तो पड़ता ही है, लेकिन इतना ही प्रभाव वे लोग भी डालते हैं जो हमारे इर्द-गिर्द अक्सर रहा करते हैं। कई बड़े-बड़े आत्मप्रतिष्ठ और लोकमान्य लोगों को राजयोग और यशयोग होने के बावजूद सिर्फ अपने आस-पास रहने वाले भ्रष्ट, बेईमान और नैतिक चरित्र से गिरे हुए लोगों की भीड़ के कारण यश खोना पड़ा और प्रतिष्ठा धूमिल हो गई, जबकि उनकी जन्मकुण्डली और गोचर में ग्रहों की चाल ठीक-ठाक थी। इन हस्तियों के इस अधःपतन का मूल कारण यह रहा कि ये जिन लोगों के साथ थे अथवा जिस किसम के लोग इनके साथ रहे, उनके भ्रष्टाचार, अनाचार और मूल्यहीनता की वजह से ग्रहों और नक्षत्रों के अच्छे प्रभावों का असर मंद हो गया तथा बुरे ग्रहों को पल्लवन तथा घातक असर करने का माहौल मिल गया, इस वजह से इनकी जिन्दगी में कुप्रभाव बढ़ा और इसका परिणाम यह हुआ कि वे लोग हाशिये पर आ गए।

कई बार यह होता है कि कोई लोक प्रतिष्ठ आदमी कितना ही अच्छा क्यों न हो, किसी न किसी प्रकार का पॉवर आ जाने पर उसके आस-पास ऎसे धूत्र्त और मक्कारों का घेरा बन जाया करता है जो बड़े लोगों को भरमा कर जमाने से दूर कर देता है और अपना बंधक बनाकर रखना चाहता है। दूसरी ओर ऎसे बड़े लोगों की दो ही आरंभिक कमजोरियां होती हैं। एक तो वे कानों के कच्चे हो जाते हैं, और दूसरी यह कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी प्रशंसा सुनने की ऎसी आदत हो जाती है कि इसके आगे उन्हें दूसरे सारे आनंद गौण लगने लगते हैं। बस इन्हीं कमजोरियों का फायदा उठाकर गिद्ध, श्वान, लोमड़ और शूकर किस्म के लोग इनके इर्द-गिर्द जमा हो जाते हैं जो दिन-रात झींगुरों की तरह इन्हीं का भजन-कीर्तन कर प्रशस्ति गान करते रहते हैं। आस-पास वाले दुश्चरित्र, कुटिल और धूत्र्त लोगों की संगत के कारण इन बड़े आदमियों के अच्छे ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव धीमा पड़ जाता है, और खराब ग्रह-नक्षत्रों खासकर पाप ग्रहों का असर चरम सीमा पा लेता है और ऎसे में अपने संगी-साथियों के कुकर्मों व पापों की वजह से इन लोगों का पराभव हो जाता है।

इसीलिए लोक कहावत बनी हुई है - गोयरे के पाप से पीपल जल जाता है। फिर आजकल तो महापापी पॉवरफुल गोयरे हर जगह अनगिनत संख्या में हैं, ऎसे में पीपल को अपने अस्तित्व को बचाये रखना है तो ऎसे गोयरों को अपनी जड़ों या खोखर में शरण देने से बचना होगा। अन्यथा आजकल के गोयरे इतने अनाचारों, अत्याचारों, पापों, व्यभिचारों, रिश्वतखोरी आदि में माहिर हैं कि कोई सा पीपल कितना ही बड़ा या हरा क्यों न हो, इन गोयरों की काली करतूतों की छाया किसी भी क्षण पूरे के पूरे पीपल को भस्म कर देने के लिए काफी है। हम ग्रह-नक्षत्रों को अपने अनुकूल करने के लिए कितने ही पूजा-पाठ, जप-तप, ध्यान, अनुष्ठान करा लें, जब तक हमारे संगी-साथी या आस-पास रहने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे तब तक इनका कोई असर नहींं पड़ने वाला। कई बार अपने आस-पास ऎसे लोग जमा हो जाते हैं जो दुर्भाग्यशाली, काले मन और काली जुबान वाले होते हैं और ऎसे लोगों के बारे में आम धारणा होती है कि ये लोग जहाँ पहुंच जाते हैं वहाँ सब कुछ मटियामेट हो जाता है। इनके पाँव ही दुर्भाग्यशाली होते हैं। फिर अपने आस-पास अच्छे लोग होते हैं तो हमारे ग्रह-नक्षत्रों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है जो हमें तरक्की देता है। इसके विपरीत बुरे लोगों का साथ होने पर उनकी कुटिलताओं, पाखण्ड और दुर्भाग्य के साथ ही उनके खराब ग्रह-नक्षत्र भी हमारे आभा मण्डल की शुचिता भंग कर देते हैं और इन पापियों के कारण से हम प्रतिष्ठा खो बैठते हैं। ऎसे कमीनों और पापियों के कारण से भगवान भी हमसे रूठा रहता है।

जीवन में शाश्वत सुख और तरक्की चाहें तो अच्छे चरित्र वाले सज्जन लोगों को साथ रखें, अपने आस-पास से दुर्भाग्यशाली, बेईमानों, भ्रष्ट, रिश्वतखोरों, धूत्र्त और चालाक लोमड़ एवं शूकर स्वभाव वाले चाण्डालों से किनारा करें। वरना ये तो डूबेंगे .....।







---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com

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