केंद्रीय कैबिनेट ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन को हरी झंडी दे दी है. संशोधन के बाद अब राजनीतिक पार्टियां आरटीआई के दायरे से बाहर ही रहेंगी. सरकार ने राजनीतिक दलों को आरटीआई कानून के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है, जिसके लिए गुरुवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधन को मंजूरी दी गई.
कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार को इस बारे में संसद के मानसून सत्र में विधेयक पेश करना होगा. इस मुद्दे पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने मसौदा तैयार किया था, इसमें आरटीआई कानून, 2005 में संशोधन का प्रस्ताव है. इसे ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए पेश किया गया.
गौरतलब है कि केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने पिछले महीने कहा था कि छह राष्ट्रीय दलों- कांग्रेस, बीजेपी, सीपीएम, सीपीआई, बीएसपी और एनसीपी को केन्द्र सरकार की ओर से परोक्ष रूप से काफी आर्थिक सहायता मिलती है, इसलिए उन्हें जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए, क्योंकि आरटीआई कानून के तहत उनका स्वरूप सार्वजनिक इकाई का है.
सीआईसी ने इन राजनीतिक दलों को जन सूचना अधिकारी और अपीली अधिकारी की नियुक्ति के लिए छह सप्ताह का समय दिया था. सीआईसी के इस फैसले पर राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस में कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी. आरटीआई कानून लाने का श्रेय पाने वाली कांग्रेस ने ही सीआईसी के इस फैसले का विरोध किया. छह राजनीतिक दलों में से केवल सीपीआई ने सीआईसी के आदेश का समय पर पालन किया और एक आरटीआई सवाल का जवाब भी दिया.
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