खनन माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ने वाली निलंबित आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति के साथ लोग जुड़ते जा रहे हैं। पहले राज्य के आईएएस एसोसिएशन ने इस ज्यादती पर नाराजगी जाहिर की और अब केंद्रीय आईएएस एसोसिएशन ने भी कमर कस ली है। लेकिन अखिलेश सरकार बेईमानों के खिलाफ जंग छेड़ने वाली इस अफसर से सवाल-जवाब की तैयारी में है।
इस मामले में चौतरफा घिरी यूपी सरकार बाकायदा आरोपपत्र जारी कर दुर्गा से उनके एक्शन पर जवाब मांगने की तैयारी कर रही है। दूसरी तरफ राज्यों के प्रशासनिक अफसरों के संघ के बाद अब आईएएस एसोसिएशन भी दुर्गा के हक में खुलकर सामने आ गया है। खनन माफिया पर नकेल कसने वाली आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने के यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ प्रशासनिक अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है। राज्यों के प्रशासनिक अफसरों के संगठन के साथ-साथ अब आईएएस एसोसिएशन भी अखिलेश सरकार के फैसले के खिलाफ लामबंद हो गया है।
आईएएस अफसरों के संगठन ने निलंबन को हड़बड़ी में लिया गया फैसला बताया। एसोसिएशन का आरोप है कि निजी फायदे के लिए कुछ लोग इस मामले में परदे के पीछे से काम कर रहे हैं। संगठन का मानना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी दुर्गा के बारे में सही जानकारी नहीं पहुंचने दी जा रही । सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने न सिर्फ दुर्गा का निलंबन वापस लेने की मांग की है बल्कि मामले को ऊंचे स्तर पर उठाने की तैयारी भी कर ली है।
एसोसिएशन ने दुर्गा के खिलाफ आरोपपत्र जारी करने के सरकार के संभावित फैसले पर भी ऐतराज जताया है। दूसरी तरफ निलंबन वापसी की बढ़ती मांग के बावजूद उत्तरप्रदेश की अखिलेश सरकार उन्हें बहाल करने के मूड में नहीं दिख रही। दुर्गा को राजस्व परिषद से अटैच कर दिया गया है। दुर्गा के मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि सांप्रदायिक हालात के मद्देनजर सही कार्रवाई न करने के लिए उन्हें निलंबित किया गया। गौतम बुद्ध नगर की एसडीएम रहते हुए दुर्गा शक्ति नागपाल ने 27 जुलाई को एक धार्मिक स्थल की अवैध दीवार गिराने के लिए कार्रवाई की थी। माना जा रहा है कि निलंबन की प्रक्रिया के तहत अब दुर्गा के खिलाफ आरोपपत्र जारी किया जाएगा।
दरअसल, सरकार को निलंबित अफसर को बताना पड़ता है कि उसे किस आरोप में निलंबित किया गया। इसके लिए 45 दिनों के भीतर नियुक्ति विभाग आरोप पत्र यानी चार्जशीट देता है। निलंबित अफसर को चार्जशीट का जवाब देना पड़ता है। सरकार निलंबित अफसर के जवाब से संतुष्ठ नहीं हो तो वो मामले की जांच का आदेश दे सकती है। सरकार चाहे तो चार्जशीट के बजाए सिर्फ कारण बताओ नोटिस भी जारी कर सकती है, लेकिन दुर्गा के मामले में सरकार अपने रुख से टस से मस होने को तैयार नहीं दिख रही, लिहाजा सरकार के फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है।
कांग्रेस नेता रशीद मसूद का कहना है कि प्रतापगढ़ में पूरे मस्जिद को जलाया गया था तब तो सस्पेंशन नही हुआ। यहां पर एक दिवार गिराने से सस्पेंशन हो गया। ये अवैध खनन को रोका था इसलिए सस्पेंशन हुआ है। अच्छा यही होगा की इसको वापस ले लिया जाए। बीजेपी नेता उमा भारती का कहना है कि सरकार वोट बैंक निति कर रही है। खनन माफिया को भी खुश कर रही है और एक धर्म के लोगों को खुश कर रही है। विरोधियों का आरोप है कि दुर्गा को खनन माफिया के खिलाफ सख्ती की सजा भुगतनी पड़ रही है। निलंबन के खिलाफ एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका भी दी है।
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