राज्यसभा ने मंगलवार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक पारित कर दिया। इस संशोधन के जरिए जेल में बंद या पुलिस हिरासत से लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति की व्यवस्था की गई है। सदन ने जनप्रतिनिधित्व (संशोधन एवं वैधीकरण) विधेयक 2013 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि राजनीतिक वर्ग ने जवाबदेही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, लेकिन एक ऐसा वातावरण बन गया है जहां इसे संदेह के साथ देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, "हमें इसका समाधान करने की जरूरत है।" उन्होंने का कि मतदान का अधिकार और मतदाता सूची में दर्ज होना वैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि मतदान के लिए अयोग्य व्यक्ति भी नामांकन दाखिल करा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पटना उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखने को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जो व्यक्ति मतदान का अधिकार नहीं रखता वह संसद या विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ने के भी योग्य नहीं है। सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है।
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