बालक कहे पुकार के....मेरे परिवार को सरकारी योजनाओं से लाभ दिलवा द न - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 7 अगस्त 2013

बालक कहे पुकार के....मेरे परिवार को सरकारी योजनाओं से लाभ दिलवा द न


  • आवासीय भूमिहीनों को भूमि दे कर इंदिरा आवास योजना से घर बना द न हो

 
Poor Kid
पटना। बेहाल स्थिति में बालक को देख कर अवश्य ही दया आ जाएगा। इसके मां-बाप के पास दो जून की रोटी खिलाने के लिए रकम नहीं है। संतुलित आहार नहीं मिलने के कारण बालक कुपोषण के शिकार हो गया है। कुपोषण की स्थिति से पता चलता है कि षरीर के हड्डी भी दिखायी देने लगी है। शरीर कमजोर हो गया है। और पेट गोलघर बन गया है। लगता है कि पेट में कीटाणुओं ने आशियाना बना लिया है।
 
कुपोषण से जार-जार हो गए बालक के मां-बाप ने अंधविश्वास के जकड़रन में पड़कर जरूर ही किसी पड़ोसी की टेड़ी नजर से बचाने के लिए जंतर-मंतर पहना रखा है। इस तरह के अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास ही नहीं किया गया। यहां पर राजकीय मध्य विघालय है। शिक्षक बच्चों को पढ़ाने तक ही कार्य को सीमित कर रखा है। यहां पर जमीन और घर उपलब्ध नहीं रहने का रोना रोकर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की सेविका और सेविकाओं ने  आंगनबाड़ी केन्द्र को लोगों और बालकों के पहुंच से दूर बहुत दूर आंगनबाड़ी केन्द्र बना रखा है। जहां बालक जाते ही नहीं है।
   
इस बीच राज्य भर में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा आइसीडीएस में तैयार होगा। भारत के महानिबंधक के माध्यम से वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के लिए गठित टीम आंगनबाड़ी सेविका के सहयोग से यह आंकड़ा एकत्र करेगी। इस संबंध में आइसीडीएस की निदेशक वंदना प्रेयषी ने सभी डीपीओ को निर्देश दिया है। पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण व अन्य स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट दिया गया है कि सभी आयु के लोगों में कुपोषण व एनिमिया का अनुमान लगाने के लिए गठित टीम को स्वास्थ्य आंकड़ा तैयार करने में आंगनबाड़ी सेविका सहयोग करें। नौ राज्यों के 284 जिलों में सभी आयु वर्ग के लोगों में जांच कर स्वास्थ्य आंकड़ा तैयार किया जा रहा है।

सम्प्रति मुख्यमंत्री से लेकर संतरी तक राजधानी में रहते हैं। बावजूद इसके शहर से कुछ ही दूरी पर पटना सदर प्रखंड के पटना नगर निगम वार्ड नम्बर-1 में स्थित शबरी कॉलोनी,दीघा मुसहरी में फग्गु मांझी रहते हैं। इस मुसहरी के मार्ग में ही फग्गुु मांझी झोपड़ी बनाकर रहते हैं। मनोरंजन के साधन नहीं रहने के कारण फग्गु मांझी के एक दर्जन बच्चा हुआ। इसमें से 8 बच्चे अल्लाह के प्यारे हो गये हैं। यह बालक भी फग्गु मांझी का ही है। इस अवस्था में इसे चलना-फिरना चाहिए था। इस वक्त जो बालक के लिए चलना-फिरना दुश्वार हो गया है। अभी बालक घसीटकर चलने को बाध्य हो रहा है।
 
अभी शबरी कॉलोनी में रहने वाले मुसहरों के नाम से सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र चलाया जाता है। जगहाभाव के कारण दूर कही दूर पर आंगनबाड़ी केन्द्र चलाया जाता है। इस सुविधा से फग्गु मांझी के पुत्र की तरह अन्य बच्चे लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। कुपोशण के गर्भ में बालक पड़ा हुआ है। अव्वल सवाल यह है कि क्या यह बालक आंकड़ों के खेल में फंस कर रह जाएगा? क्या आंकड़ों में शामिल हो पायेगा? क्या आंकड़ा लेते समय तक बालक जीवित रह सकेगा? यह सवाल इस लिए जरूरी है कि बालक के मां-बाप जिस अस्वस्थकर स्थान पर रहते हैं जहां बगल में गंदगी का अम्बार है। जलजमाव है। दूषित पानी,दूषित भोजन और दूषित वातावरण के शिकार होकर बालक लोक से परलोक न चल जाए। इस तरह की मौत को रोकने की जवाबदेही सरकार पर है। खुदा न करें अगर यह बालक की मौत हो जाती है तो स्वाभाविक मौत कहकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग पल्ला झार देगी। अगर जहर खिलाने से मौत हो जाती है तो सरकार के पुलिस प्रशासन को कूदते-फांदते देखा जाता है। इस प्रकार अभी मिड डे मील में 23 बच्चों की अकाल मौत के बाद सरकार की फजीयत हो रही है। आनन-फानन में मिड डे मिल से संबंधित कुव्यवस्था को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। उसी तरह फग्गू मांझी के बालक की तरह अनेक बच्चे हैं जो मौत के करीब पहुंच गये हैं या पहुंचने वाले हैं। इन नौनिहालों की सुरक्षा की गारंटी सरकार को देनी चाहिए।

खैर, समय-समय पर केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा बड़े पैमाने पर सर्वें कराया जाता है। इसके बाद गरीबी रेखा के नीचे वाले लोगों की सूची बनायी  जाती है। इनको गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लिए सरकार के द्वारा योजना बनायी जाती है। योजना मां के गर्भ में पलने और बढ़ने वाले शिशु से शुरू की जाती है। इसी तरह योजना किसी की मौत हो जाने के बाद तक तैयार की जाती है। योजनाओं का नामकरण देश के नेताओं के नाम से होता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी गारंटी अधिनियम, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, अम्बेदकर वाल्मीकि मलिन आवास योजना, इन्दिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष समेत 135 योजनाएं है।
 
इसके आलोक में कल्याणकारी राज्य के द्वारा बेहाल परिस्थिति में घिरी जनता को निकालने का प्रयाय किया जाता है। उनके कल्याण और विकास के लिए उपाय किया जाता है। इन उपायों में सरकार के द्वारा सब्सिडी भी दिया जाता है। अब सरकार के द्वारा दी गयी रियायतों को कम करने का प्रयास होने लगा है। यह घरेलू गैस से शुरू कर दिया गया है। जरूरत है कि सरकार के प्रतिनिधि शबरी कॉलोनी,दीघा मुसहरी में आकर मुसहरों की स्थिति देखें। इन लोगों का कल्याण और विकास का मार्ग प्रर्दस्त करें। सरकारी योजना के तहत आवासीय भूमिहीनों को जमीन देकर इंदिरा आवास योजना के तहत मकान बना दें।




(आलोक कुमार)
पटना 

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