जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया में विपक्ष की सीधी भूमिका नहीं होगी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 7 अगस्त 2013

जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया में विपक्ष की सीधी भूमिका नहीं होगी.

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की दो दशक पुरानी कालेजियम पद्धति की जगह नये सरकारी प्रस्ताव में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष की संभवत: कोई सीधी भूमिका नहीं होगी। राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने के कानून मंत्रालय के प्रस्ताव पर गुरुवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विचार किये जाने की संभावना है।

प्रस्तावित जेएसी छह सदस्यीय संस्था होगी, जिसके अध्यक्ष भारत के प्रधान न्यायाधीश होंगे। इसमें दो न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के, कानून मंत्री और दो प्रतिष्ठित लोग बतौर सदस्य होंगे। कानून मंत्रालय में विधि सचिव ही आयोग के सदस्य सचिव  होंगे। इस साल अप्रैल में वितरित प्रस्ताव में कहा गया था कि एक नजरिया यह भी है कि विपक्ष के नेता को जेएसी का सदस्य बनाया जाना चाहिए। इस सुझाव पर विचार किया जा सकता है। नये प्रस्ताव में स्पष्ट है कि विपक्ष के नेता आयोग का हिस्सा नहीं होंगे।

दोनों ही सदनों के नेता प्रतिपक्ष हालांकि उस समिति का हिस्सा होंगे, जो दो प्रतिष्ठित लोगों को जेएसी के सदस्यों के रूप में मनोनीत करेगी। समिति में भारत के प्रधान न्यायाधीश और प्रधानमंत्री भी होंगे। इस प्रकार विपक्ष की न्यायाधीशों की नियुक्ति में परोक्ष भूमिका होगी। पूर्व के प्रस्ताव में कहा गया था कि दो प्रख्यात विधिवेत्ता जेएसी में होंगे लेकिन नये प्रस्ताव में इसे बदलकर दो प्रतिष्ठित हस्तियां कर दिया गया है। इस प्रकार जेएसी में भारत के प्रधान न्यायाधीश को मिलाकर तीन न्यायाधीश और कानून मंत्री सहित तीन गैर विधि वेत्ता शामिल होंगे।

समझा जाता है कि ताजा बदलाव भाजपा की सहमति से किया गया है, क्योंकि कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने हाल ही में जेएसी विधेयक का मसौदा राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली से साझा किया था, जिसमें कहा गया है कि विधिवेत्ता की जगह प्रतिष्ठित हस्तियां जेएसी में शामिल की जाएंगी।

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