राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे पर राज्य स्तरीय परिसंवाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 28 अगस्त 2013

राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे पर राज्य स्तरीय परिसंवाद

भूमि का राष्ट्रीयकरण करने पर बल
  • आंदोलन का सहारा लेकर सरकार पर दबाव बनाने की जरूतर

land reform
पटना। सूबे में भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी.बंधोपाध्याय ने राज्य सरकार को अपनी अनुशंषा पेश की। उसे सरकार लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी। चर्चा है कि भाजपा ने जमकर विरोध किया था जिसके कारण सरकार अनुशंषा लागू करने में पीछे हट गयी। जब भाजपा और जदयू में संबंध विच्छेद हो चुका है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डी.बंधोपाध्याय की अनुशंषा लागू कर जनता के दिल पर राज करें। इसको अनवरत आंदोलन चलाकर सिविल सोसायटी को लागू करा लेना चाहिए था। मगर इसमें सिविल सोसायटी अक्षम साबित हो गयी। एकबार भी केन्द्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदा तैयार करके जनता की अदालत में उछाल दी है। अगर सरकार इसे स्वीकृत भी कर लें। जो नीति में खामियां है उसे दूर करने के लिए आंदोलन का सहारा लेकर सरकार पर दबाव बनाने की जरूतर है। वहीं भूमि का  राष्ट्रीयकरण करने पर बल दिया गया।

 राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे पर राज्य स्तरीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। प्रगति ग्रामीण विकास समिति और पुुअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी ने संयुक्त रूप से स्थानीय अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान में किया। इसमें शामिल होने वालों ने सरकार के द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को अधूरा करार दिया। इस नीति में अनेकों सुधार कर देने की गुजाइंश है। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक और परिसंवाद के संचालक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्र के महानुभावों को बुलाया गया कि ताकि नीति में व्याप्त खामियों को दूर किया जा सके। अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान के निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सामने चुनाव के चलते जल्दबाजी में राश्ट्रीय भूमि सुधार नीति के मसौदे को सिविल सोसायटी पर थोप दिया है ताकि किसी तरह से केन्द्रीय मंत्री परिषद की स्वीकृति लेकर नीति को लागू कर दें। इसके आगे के बारे में जिक्र किया कि शिक्षा का अधिकार कानून ही ले लीजिए। पूरी ईमानदारी से लागू नहीं किया गया। अव्वल देश में अधिशेष भूमि के बारे में जानकारी और सार्वजनिक करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार रूपेश ने कहा कि भूमिहीनों की परिभाषा , जिनके पास जमीन है, जमीन किसको दी जाएगी, परिवार को दी जाएगी, व्यक्तिगत तौर पर दी जाएगी। इस नीति में उल्लेख नहीं किया गया है। इसे ऑपन करने की जरूरत है। 

मौके पर राष्ट्रीय भूमि सुधार पर गठित टास्क फोर्स के सदस्य रमेश शर्मा ने कहा कि काफी मशक्कत करने के बाद यह प्रस्तावित राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति आ सकी है। इसे ठोस बनाने की जरूरत है। जो भी सुझाव मिलेगा उसे नीति के अंदर डालने का प्रयास होगा। इस अवसर पर पैक्स के स्टेट मैंनेजर राजपाल, राज्य किसान आयोग के डा.नुरूल अहद, एआईटीयूसी के गजफ्फर नवाज, राज्य अनुसूचित जाति के अध्यक्ष विघानंद विकल, प्रैक्सिस के अनिंदो बनर्जी, नारी गुंजन की सिस्टर सुधा वर्गीस, सामाजिक नेत्री वर्षा, एकता परिषद संचालन समिति की सदस्य मंजू डुंगडुंग, पैक्स की आरती वर्मा आदि ने विचार व्यक्त किये। 

(आलोक कुमार)
पटना 

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