ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित होने के बाद लोकसभा में गुरुवार को संप्रग सरकार के एक और महत्वपूर्ण विधेयक भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक पर चर्चा होगी। यह जानकारी सरकार के सूत्रों ने दी।सरकारी अधिकारी ने कहा, "भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा होनी है।" जहां सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन विधेयक 2011 में 165 संशोधन पेश किया है वहीं विपक्ष ने 116 संशोधन पेश किया है। यह विधेयक उपनिवेशकालीन भूमि अधिग्रहण कानून 1894 की जगह लेगा।
इस विधेयक की सबसे खास बात यह है कि निजी परियोजनाओं के लिए भूमि के मालिक की 80 फीसदी सहमति जरूरी होगी और निजी-सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए 70 फीसदी सहमति अनिवार्य होगी। इस विधेयक का नागरिक अधिकार की वकालत करने वाले कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए कहा है कि इससे भूमि का निगमीकरण बढ़ेगा। ऐसे लोगों का यह भी कहना है कि इससे विस्थापितों के पुनर्वास का प्रावधान भी कमजोर होगा।
सरकार हालांकि व्यापक राजनीतिक सहमति का दावा कर रही है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी, सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी आदि की अपनी-अपनी आपत्ति है। विधेयक के प्रावधान के मुताबिक भूमि के मालिकों को ग्रामीण इलाके में बाजार दर से चार गुनी और शहरी इलाकों में दो गुनी कीमत दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
यह विधेयक पहली बार 2011 में पेश किया गया और फिर इसे संसदीय समिति को सौंप दिया गया। समिति ने मई 2012 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
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