युनिसेफ के एक सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार शिक्षा के अधिकार को लागू करने में अभी भी पीछे है. बिहार में औसतन एक कक्षा में 57 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की उपलब्धता के साथ नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को लागू करने में यह प्रदेश अभी भी पीछे है.
युनिसेफ के सहयोग से बिहार राज्य बाल अधिकार आयोग द्वारा प्रदेश के सभी 38 जिलों के 375 स्कूलों में किये गए एक सर्वेक्षण, जिसे मंगलवार को शिक्षा मंत्री पी के शाही ने जारी किया, उसके अनुसार बिहार में औसतन एक कक्षा में 57 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की उपलब्धता के साथ नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को लागू करने में यह प्रदेश अभी भी पीछे है.
बिहार राज्य बाल अधिकार आयोग द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में एक कक्षा में विद्यार्थियों की औसत संख्या 82 पायी गयी जबकि 57 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक उपलब्ध हैं. नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एक कक्षा में विद्याथिर्यों की अधिकतम संख्या 30 और उतने विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है.
सर्वेक्षण में शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना, मूलभूत सुविधाएं यथा स्कूल की चहारदीवारी, रसोई घर, पुस्तकालय, खेल का मैदान, छात्राओं के लिए अलग शौचालय, मुफ्त पुस्तक वितरण और पेयजल की सुविधा के मामले में भी बिहार राष्ट्रीय औसत से पीछे है. इस अवसर पर शाही ने कहा कि बिहार में पिछले दो वर्षो में सतत प्रयासों और अनुश्रवणों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुए हैं पर अब भी कुछ कमियां हैं.
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