पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित न हो पाने पर रविवार को गहरी चिंता जताई और संसद की कार्यवाही बाधित होने तथा विधेयक पारित न हो पाने के लिए विपक्षियों को जिम्मेदार ठहराया। चटर्जी ने यहां एक कार्यक्रम के इतर मौके पर कहा, "विधेयक का पारित न हो पाना चिंता का विषय है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? संसद ठप हो गई है। आम लोगों के कल्याण और विकास की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियां संसद नहीं चलने दे रही हैं और विधेयक पारित नहीं होने दे रही हैं।"
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में कहा था कि विधेयक जल्द-से-जल्द पारित कराया जाएगा। विधेयक में देश की कुल 1.2 अरब आबादी में से 67 फीसदी या करीब 80 करोड़ को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर खाद्यान्न मुहैया कराने का प्रावधान है।
जे.डी. बिड़ला इंस्टीट्यूट की 50वीं सालगिरह के मौके पर 'पर्यावरण, और समाज पर इसका प्रभाव' विषय पर चटर्जी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित व्यवस्था भी की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरणविदों को रबिंद्रनाथ ठाकुर की रचनाओं को पढ़ना चाहिए, जिन्होंने पर्यावरण सुरक्षा की जरूरत पर गंभीरता से अपनी राय दी थी।
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