राजनीति में अपराधियों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ गुरुवार को सभी राजनीतिक दल एकजुट हो गए और चाहते हैं कि सरकार मानसून सत्र में इस मुद्दे से निपटे। वामदलों, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं ने न्यायालय के उस आदेश के प्रति अपनी चिंता जाहिर की जिसमें किसी आपराधिक मामले में दोषी जन प्रतिनिधि को अयोग्य घोषित करने और जेल में बंद रहने पर चुनाव लड़ने पर रोक का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे से निपटना चाहिए क्योंकि किसी भी चुनाव से पहले कानून का दुरुपयोग शुरू हो जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बासुदेब आचार्य ने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर चर्चा चाहते हैं।" भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद, जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी इस पर चिंता जाहिर की। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञता वाले पाठ्यक्रमों में आरक्षण नहीं लागू किए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के प्रति भी चिंता प्रकट की।
शरद यादव ने कहा कि आरक्षण का मामला सुलझ गया है। न्यायालय क्यों समय-समय पर ऐसे आदेश देते हैं। वे ऐसे आदेश देते हैं जिससे सत्र बाधित हो सकता है। कमलनाथ ने कहा कि नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और संसद की कम होती सर्वोच्चता पर गंभीर चिंता जताई।
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