देश के अतिवांछित 20 आतंकवादियों की सूची में शामिल तथा बम विस्फोट की लगभग 40 घटनाओं में लिप्त रहे अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने यहां शनिवार को यह जानकारी दी। टुंडा, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का शीर्ष आतंकवादी है, तथा अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम का सहयोगी है।
टुंडा को शुक्रवार अपराह्न् लगभग 3.00 बजे नेपाल सीमा के नजदीक उत्तराखंड के बनबासा इलाके से गिरफ्तार किया गया। उसे शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने टुंडा को तीन दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने बताया, "उसके पास से एक पाकिस्तानी पासपोर्ट बरामद हुआ है, जिसका नंबर 'एसी 4413161' है। यह पासपोर्ट 23 जनवरी को अब्दुल कुद्दूस नाम से जारी किया गया था।"
पुलिस ने बताया कि टुंडा देश में विभिन्न आपराधिक मामलों में वांछित है और देश के शीर्ष 20 अति वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल है। टुंडा, दिल्ली में 1994, 1996 तथा 1998 में हुए 21 आतंकवादी मामलों में वांछित है। श्रीवास्तव ने बताया, "टुंडा, लश्कर-ए-तैयबा तथा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से करीब से जुड़ा रहा है।"
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिल्खुआ से ताल्लुक रखना वाला टुंडा बम बनाने का विशेषज्ञ है तथा 1985 में मुम्बई में बम बनाने के दौरान विस्फोट हो जाने के कारण उसका बांया हाथ उड़ गया था। इसके बाद से ही उसका उपनाम 'टुंडा' पड़ा। दाऊद का सहयोगी टुंडा एलईटी का बम विशेषज्ञ आतंकवादी था, तथा 1993 में मुंबई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों, दिल्ली में 1997-98 में हुए बम विस्फोटों तथा उत्तर प्रदेश में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के अलावा पंजाब तथा हरियाणा बम विस्फोटों में कथित तौर पर शामिल था।
मध्य दिल्ली के दरियागंज में 1943 में जन्मा टुंडा हैदराबाद, गुलबर्गा, सूरत और लखनऊ में रेलगाडियों में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के मामलों में भी वांछित है। वह अकेले गाजियाबाद में 13 आपराधिक घटनाओं में संलिप्त रहा है। वह कथित तौर पर हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी, वाधवा सिंह, रतनदीप सिंह, कराची स्थित इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़े आतंकवादी अब्दुल अजीज उर्फ बड़ा साजिद एवं अन्य आतंकवादियों के साथ भी काम कर चुका है।
टुंडा, पत्नी सहित 1992 तक अपने गांव पिल्खुआ में रहा। पुलिस ने बताया कि कट्टर जिहादी आतंकवादी बनने से पहले 40 की उम्र तक टुंडा ने बढ़ईगीरी, कबाड़ तथा कपड़ों का कारोबार किया। पुलिस ने बताया कि 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के तुरंत बाद टुंडा ने मुम्बई में एक कट्टरपंथी संगठन की स्थापना की। पुलिस ने आगे बताया कि 1994 की जनवरी में टुंडा बांग्लादेश भाग गया, जहां राजधानी ढाका में उसने जिहादियों को बम बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
टुंडा के दो बांग्लादेशी शिष्यों -मतो-उर-रहमान और अकबर उर्फ हारून- को 1998 की फरवरी में दिल्ली में सदर बाजार रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। बाद में पुलिस ने आतंकवादी समूह के 24 अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया था। पिछले कुछ वर्ष से टुंडा शांत पड़ा हुआ था तथा जांचकर्ताओं को लगा था कि वह मर चुका है। सरकार ने 2008 में मुम्बई हमले (26/11) के बाद जब पाकिस्तान सरकार को अति वांछित 20 आतंकवादियों की सूची सौंपी तो उसमें टुंडा का नाम प्रमुख आतंकवादियों में शामिल था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें