भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को उस अध्यादेश का विरोध किया, जो सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को नकारता है, जिसमें सांसदों व विधायकों के किसी आपराधिक मामले में दोषी होने पर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की बात कही गई थी। संसद के मानसून सत्र में इस बाबत विधेयक पारित नहीं हो सका था इसलिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को अध्यादेश का विकल्प अपनाया।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा, ''केंद्रीय कैबिनेट ने दोषी सांसदों पर अध्यादेश को स्वीकृति दे दी है। हम इसका विरोध करते हैं। हम राष्ट्रपति से अनुरोध करते हैं कि वह इस पर हस्ताक्षर न करें।''
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने ट्विटर पर इसका जवाब देते हुए लिखा, ''संवैधानिकता या कानून लागू करना संवैधानिक अदालतों में जांचा जाता है न कि यह भाजपा का काम है।'' तिवारी ने लिखा, ''अनचाही सलाह न तो सराही जाती है और न ही उसे गंभीरता से लिया जाता है। ये कानूनी पेशे के पहले सिद्धांत है। विपक्ष की नेता की सलाह हास्यास्पद है।''
यह अध्यादेश निर्वाचित नेताओं को अयोग्य ठहराए जाने से बचाएगा लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं लेने देगा। अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिलने के बाद इसे संभवत: नवबंर-दिसंबर में होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कर दिया जाएगा।
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