कभी ओलंपिक ट्रैक को अपनी गति से थर्रा देने वाले कनाडा के बेन जॉनसन 25 साल के लंबे अंतराल के बाद मंगलवार को उसी जगह दोबारा पहुंचे जहां उन्होंने 24 सितंबर 1988 को 100 मीटर का स्वर्ण पदक जीता था लेकिन डोपिंग में पकड़े जाने के कारण उनसे यह पदक छीन लिया गया था।
अब 51 साल के हो गए जॉनसन ने सोल के उसी ओलंपिक स्टेडियम का मंगलवार को दौरा किया जहां उन्होंने अमेरिका के महान एथलीट कार्ल लुईस को पराजित कर स्वर्ण पदक जीता था। हालांकि स्टेरायड स्टेनोजोलोल के सेवन के लिए पकड़े जाने के कारण जॉनसन को बड़ी शर्मिंदगी के साथ दक्षिण कोरिया को छोड़ना पड़ा था। लेकिन अब उनका अगली पीढी के एथलीटों के लिए संदेश है कि प्रदर्शन बढ़ाने वाली प्रतिबंधित दवाओं से दूर रहो। पिछले 25 वर्षों में जॉनसन ने इस शर्मिंदगी का जो दर्द सहा है वह अचानक ही सोल में उनके दिल से निकलकर जुबां पर आ गया।
जॉनसन ने कहा कि मैंने नियम तोड़ा था और मुझे सजा मिली, 25 साल बाद मुझे अब भी उस गलती की सजा मिल रही है। समाज में ऐसे लोग हैं जो हत्या करते हैं, बलात्कार करते हैं, जेल जाते हैं और फिर बाहर निकल आते हैं। मैंने तो सिर्फ खेल का नियम तोड़ा था और मुझे उसके लिए जैसे सूली पर लटका दिया गया।
कभी कनाडा के लिए शर्मिंदगी करार दिए गए जॉनसन ने कहा कि कनाडा में आम लोग मेरे खून के प्यासे नहीं हैं जैसी कि मीडिया में खबरें दी जाती हैं। शायद सरकार में लोग मेरी लोकप्रियता से जलते थे कि मैं कनाडा के प्रधानमंत्री से भी अधिक लोकप्रिय हूं। लेकिन जहां तक आम जनता की बात है। उस घटना के बाद दो-तीन महीने गुजर गए और मेरे प्रशंसक जैसे थे वैसे ही बने रहे।
हालांकि जॉनसन अब उस घटना से सबक लेते हुए भविष्य कीयुवा पीढी को संदेश देते हैं कि सही रास्ता अपनाओ और प्रतिबंधित दवाओं से दूर रहो। जॉनसन का उस समय 9.79 सेकेंड का विश्व रिकॉर्ड उनके डोपिंग में पकड़े जाने के बाद रिकॉर्ड पुस्तिका से मिटा दिया गया था।
उस रिकॉर्ड को याद करते हुए जॉनसन अब भी रोमांचित हो उठते हैं। उन्होंने कहा कि 9.79 सेकेंड, लोग इस समय पर यकीन नहीं कर पाते थे। मुझे लगता है कि यदि मैंने ड्रग्स न भी लिए होते तो भी 1988 में मैं स्वर्ण पदक जीत सकता था। मुझसे पीछे दूसरे स्थान पर रहे कार्ल लुईस का समय 9.92 सेकेंड था।
जॉनसन पर दो साल का प्रतिबंध लगा था। उन्हें 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में उतरने का मौका मिला लेकिन वह सेमीफाइनल में बाहर हो गए। पांच महीने बाद उन्हें आजीवन प्रतिबंधित कर दिया गया जब वह टेस्टोस्टेरोन के अत्यधिक सेवन के लिए पॉजिटिव पाए गए।
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