देश की राजधानी नई दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को हुए जघन्य गैंगरेप और हत्या के मामले में साकेत की कोर्ट ने चारों आरोपियों को दोषी करार दिया है, और उनकी सज़ा पर बहस बुधवार को की जाएगी। इस मामले में कुल छह अभियुक्त थे, जिनमें से एक रामसिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग आरोपी को कुछ ही दिन पहले दोषी करार देकर तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी। बचे हुए चार आरोपियों - मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता - पर हत्या, गैंगरेप, लूट, डकैती, अपहरण सहित कुल 13 धाराओं में आरोप लगाए गए थे।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात मुनीरका के बस स्टॉप पर यह लड़की अपने दोस्त के साथ बस का इंतजार कर रही थी। द्वारका की एक बस में दोनों सवार हुए। बस में सवार लोगों ने लड़के की बुरी तरह पिटाई की और लड़की के साथ न सिर्फ गैंगरेप किया, बल्कि इतनी दरिंदगी भी बरती कि शैतान कांप जाए। चलती बस में करीब घंटेभर तक बलात्कार करने के बाद आरोपियों ने पीड़ित लड़की और उसके दोस्त को महिपालपुर के इलाके में फेंक दिया, और फरार हो गए। आसपास के लोगों ने उनकी हालत देखकर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने आनन-फानन लड़की को सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया और फिर आरोपियों की तलाश शुरू हो गई। पुलिस सबसे पहले उस बस की पहचान चाहती थी, जिसकी सीसीटीवी फुटेज एक होटल के कैमरे से मिल गई।
सीसीटीवी फुटेज और दोस्त के बयानों से बस के बारे में पुलिस को अहम जानकारी मिल गई। गुड़गांव-नोएडा-दिल्ली और बहादुरगढ़ में करीब 300 बसों को जब्त किया गया। वारदात में इस्तेमाल हुई बस की पहचान में दिल्ली पुलिस को बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा और बस आरके पुरम के रविदास कैंप से जब्त कर ली गई। बस के साथ उसका ड्राइवर और मुख्य आरोपी रामसिंह भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया और जब पूछताछ शुरू हुई तो उस काली रात के सारे राज खुलते चले गए। अगले ही दिन पड़ोस में रहने वाले विनय शर्मा और पवन को भी पकड़ लिया गया, जबकि आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार और रामसिंह के भाई मुकेश की राजस्थान से गिरफ्तारी में कुछ दिन और लगे। बाद में पुलिस ने आखिरी और छठे आरोपी को भी दबोच लिया, लेकिन वह नाबालिग निकला।
पुलिस ने पूरी वारदात को सुलझाने का दावा किया, लेकिन जनता का दबाव अब भी उसके ऊपर था। सबसे बड़ी चुनौती थी आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने की। जबरदस्त दबाव में आई दिल्ली पुलिस ने हफ्तेभर के भीतर चार्जशीट दाखिल करने का दावा किया। पीड़ित लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान भी कलमबंद कराया, जिसकी हालत बेहद गंभीर थी, फिर भी उसने न सिर्फ तमाम आरोपियों के खिलाफ बयान दिए, बल्कि जीने की उम्मीद लिए हालात से लड़ती रही, लेकिन गहरी और गंभीर अंदरूनी चोटों की वजह से हालत बिगड़ती चली गई और लड़की को बचाने की आखिरी कोशिश सिंगापुर भेजकर की गई, लेकिन घटना के दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को उसने माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया
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