प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात करेंगे। यहां वे ओबामा के साथ द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करेंगे और भविष्य के लिए रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश और असैन्य परमाणु सहयोग की रुपरेखा भी तैयार करेंगे।
व्हाइट हाउस ने कहा कि इसी साल भारत की यात्रा कर चुके, भारत-अमेरिकी संबंधों के प्रबल समर्थक अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बिडेन भी ओवल कार्यालय में होने वाली इस बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक अंतरराष्ट्रीय मानक समयानुसार रात 9 बजे (वाशिंगटन के स्थानीय समयानुसार दिन के साढ़े ग्यारह बजे) शुरू होगी।
व्हाइट हाउस ने बताया कि ओबामा और सिंह के बीच यह तीसरी शिखर बैठक है। इससे पहले ये दोनों नेता वर्ष 2009 और 2010 में बैठक कर चुके हैं। इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्थायित्व में भारत की भूमिका पर जोर दिया जाएगा। राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि ओबामा सिंह के साथ मुलाकात के लिए उत्सुक हैं। इस बैठक के बाद दोनों नेता मीडिया से एक संक्षिप्त बातचीत में संयुक्त बयान जारी करेंगे। इसके बाद ओबामा सिंह के लिए दोपहर के खाने पर मेजबानी करेंगे। प्रथम महिला मिशेल ओबामा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर को अपने आवास पर चाय पिलाएंगी।
मनमोहन सिंह और उनका प्रतिनिधिमंडल जल्दी ही न्यूयॉर्क के लिए विमान से रवाना हो जाएंगे। वहां वे अपनी अमेरिका यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण के तहत संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे और अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से 29 सितंबर को मुलाकात करेंगे। यहां पहुंचने पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि अमेरिका भारत के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक है। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को इस साझेदारी को विभिन्न तरीकों से विस्तार और गहराई देने के उद्देश्य से कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा के प्रशासन में हमने विभिन्न क्षेत्रों में इस साझेदारी को विस्तार व गहराई देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि इस यात्रा के दौरान हम अब तक हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे तथा यह भी देखेंगे कि इस साझेदारी को और अर्थपूर्ण और संतोषप्रद बनने के लिए आगे और क्या किया जा सकता है। अमेरिका भारत के विकास के लिए सबसे अहम व्यापारिक साझेदारों, निवेश व तकनीकी सहयोग प्रदाताओं में से एक है और हमें अपने विकास कार्यक्रमों में नया विश्वास लाने के लिए अमेरिका को अपने पक्ष में बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति और दक्षिणपूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया जैसे अन्य अहम मसलों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय हालात की भी समीक्षा करेंगे।
अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा कि यह बैठक न सिर्फ दोनों देशों के संबंध में हुई प्रगति की समीक्षा करेगी बल्कि यह दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबधों की प्रगति और लक्ष्य को भी तय करेगी और सहयोग को गति देने में मदद करेगी। मीडिया के साथ बातचीत में निरुपमा राव ने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक भागीदारी से जुड़े रिश्तों में बड़े लक्ष्य हासिल किए गए। राव ने कहा कि सही शब्दों में यह संपूर्ण संबंध हैं। उन्होंने कहा कि इन संबंधों के ना केवल द्विपक्षीय महत्व हैं, बल्कि इनमें क्षेत्रीय हालात एवं वृहद वैश्विक परिवेश भी शामिल होते हैं। इन संबंधों को विश्व की सबसे बड़े एवं महत्वपूर्ण लोकतंत्रों के बीच रिश्ते बताते हुए राव ने कहा कि इनमें बहुत सारे हितों की सुसंगतता है। राव ने कहा कि यह निश्चित तौर पर आम हितों एवं आम चिंताओं की ही बात है।
आव्रजन सुधार के कुछ निश्चित प्रावधानों, विशेषकर एच-1बी एवं एल-1 वीजा से जुड़े प्रावधान को लेकर भारत की चिंता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बातचीत में इस मुद्दे को उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से बैठक में भारत की आर्थिक एवं व्यवसायिक नीतियों से जुड़े मुद्दे उठाए जा सकते हैं। भारत ने अमेरिकी व्यवसायियों की चिंता के मुद्दों पर अपनी ओर से निपटने के सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए हैं।
राव ने कहा कि अपनी ओर से हम चाहेंगे कि अमेरिका यह समझे कि हम अपने आसपास के माहौल को लेकर विकास की किन चुनौतियों से जूक्ष रहे हैं, किस हालात में रह रहे हैं। सवालों का जवाब देते हुए राव ने कहा कि अमेरिका के साथ बैठक में सीमा पार से आतंकवाद और लश्कर-ए-तैयबा एवं हाफिज सईद से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे। अमेरिका इन मुद्दों पर भारत की गहरी चिंताओं से अवगत है।
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