प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर कल रवाना होंगे। वहां वह अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलने के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। उनके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने की भी संभावना है।
वाशिंगटन में ओबामा और सिंह के बीच होने वाली मुलाकात के एजेंडे में असैन्य परमाणु सौदे का क्रियान्वयन, रक्षा, सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देना प्रमुख हैं। इस दौरान भारतीय परमाणु उर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस के बीच समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद है।
तीसरी शिखर बैठक में सिंह की ओर से अमेरिका के वीजा नियमों में प्रस्तावित बदलाव से भारत के आईटी पेशेवरों पर पड़ने वाले प्रभावों पर चिंता जताई जा सकती है। ओबामा-सिंह वार्ता में अगले साल अफगानिस्तान से अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना के हटने से उत्पन्न होने वाली स्थिति के अलावा सीरिया पर भी चर्चा की संभावना है। दोनों नेता परमाणु और रक्षा के क्षेत्र में सौदों को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे जिन्हें दोनों देशों के बीच के संबंधों का स्तंभ माना जा रहा है। रक्षा के क्षेत्र में खरीदार-विक्रेता के रिश्तों को संयुक्त डिजाइन, विकास एवं उत्पादन में बदलने पर दोनों नेताओं की ओर से विचार किया जा सकता है।
अमेरिका ने हाल ही में कहा है कि वह चाहता है कि रूस की तरह वह भी भारत के साथ संयुक्त रक्षा व्यवस्था बनाये और जिस तरह भारत-रूस ने मिलकर ब्रहमोस प्रक्षेपास्त्र बनाया, भारत और अमेरिका भी इस तरह के संयुक्त निर्माण करें। सप्ताह भर की सिंह की वाशिंगटन और न्यूयार्क यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के इतर उनकी शरीफ से भेंट हो सकती है। सिंह के बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और कुछ अन्य देशों के नेताओं से भी मिलने की संभावना है।
यात्रा के बारे में विदेश सचिव सुजाता सिंह ने पिछले सप्ताह संवाददाताओं को बताया था कि पिछले चार साल में सिंह और ओबामा के बीच तीसरी शिखर बैठक हो रही है जो प्रतिबिम्बित करती है कि दोनों देशों के संबंध परिपक्वता के स्तर पर पहुंच गये हैं। इससे पहले शिखर बैठक के लिए प्रधानमंत्री नवंबर 2009 में अमेरिका गये थे और ओबामा 2010 में भारत आये थे। बहुपक्षीय बैठकों में दोनों नेताओं ने कई बार अलग से मुलाकात की है।
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