राहुल भी प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं: अनंतमूर्ति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

राहुल भी प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं: अनंतमूर्ति

प्रख्यात कन्नड़ लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए घोषित किए गए प्रत्याशी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पद के लायक नहीं हैं कयोंकि उनमें मानवता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी ही नहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी इस पद के लायक नहीं है और उन्हें इस पद तक पहुंचने के लिए अभी बहुत कुछ सीखना है। 

अनंतमूर्ति ने बेंगलूर प्रेस कलब और रिपोर्ट्स गिल्ड द्वारा संयुकत रूप से जारी कार्यक्रम मीट द प्रेस में पत्नकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मैंने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बदले की भावना से यह बयान नहीं दिया। एक लेखक, चितंक और एक लोकतांत्निक देश का नागरिक होने के नाते मुझे अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। मुझे उस बयान को लेकर कोई पश्चापात नहीं है और मैं अभी भी उसी पर कायम हूं। मैंने यह बयान किसी जल्दबाजी में नहीं दिया क्योंकि पर्याप्त अनुभव और प्रयास के बिना मोदी प्रधानमंत्नी बनना चाहते है।

उन्होंने कहा कि गोधरा दंगों के दौरान नरेन्द्र मोदी सरकार ने जिस अक्षमता का परिचय दिया उसे मैं काफी दुखी था। उस हिंसा के दौरान अल्पसंख्यक समुदायों की दुकानों को उच्च वर्ग की महिलाओं ने जमकर लूटा था और राज्य सरकार का प्रशासन मूक बना रहा। उन्होंने कहा कि मोदी ने किसानों की उपेक्षा करके उद्योगपतियों के लिए लाल कालीन बिछा दिए हैं जो उचित नहीं है क्योंकि देश को विकास के बजाए शांति की आवश्यकता है। विकास की अवधारणा न केवल हमारी धरती माता के रूप में नष्ट कर रही है बल्कि शांति भी छीन रही है। ऐसी उपलब्धि की क्या आवश्यकता है जहां कोई शांति नहीं हो।

कोई टिप्पणी नहीं: