- झारखंड में पहाड़िया जाति को अनुसूचित जनजाति और बिहार में खैरा जाति को पिछड़ी जाति का दर्जा
- दिक्कू ने इंदिरा आवास योजना की राशि डकार ली
बांका। झारखंड प्रदेश के पहाड़िया जाति को बिहार में खैरा जाति बनाकर आरक्षण सुविधा में पक्षपात कर दिया गया है। इसके कारण नक्सल एवं माओवादी क्षेत्र बांका जिले में रहने वाले 10 हजार की संख्या में पहाड़िया(खैरा) जाति समुदाय के लोग रहते हैं। इनको नौकरशाहों ने आरक्षण सुविधा छिना तो विकास कार्य में लगे दलालों ने इंदिरा आवास योजना की राशि ही डकार लिये। जेल जाने के डर से कैलू पूजार ने महाजनों से व्याज पर कर्ज लेकर मकान बना लिया। गरीबता के कारण प्रमिला देवी मकान नहीं बना पा रही है। वहीं मैना पूजार की मौत हो गयी है।
बिहार से झारखंड का बंटवारा 15 नवम्बर,2000 को हुआ। जो पहाड़िया जाति के लोग बिहार से झारखंड का बंटवारा के समय झारखंड में रह गये। उनको मलाईदार अनुसूचित जनजाति का आरक्षण प्राप्त हो गया। जो 15 नवम्बर,2000 के विभाजन के बाद बिहार में ही रह गये। उनको पहाड़िया जाति की सूची से हटाकर नौकरशाहों ने खैरा जाति बनाकर मान लिया। इसी तकनीकी आधार पर खैरा जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न देकर पिछड़ी जाति का आरक्षण थमा दिया। उसी समय से बिहार में यह समुदाय दबकर रह गया। झारखंड में रह गये उनको अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला और बिहार में ठहर गये तो पिछड़ी जाति का दर्जा मिला। इसी को आधार आरक्षण की सुविधा दी गयी है। इसी तरह की कानून के झूले में पहाड़िया(खैरा) जाति के लोग झूलने को बाध्य हैं। एक जन जागरण गीत है। काहे देशवा में ऐसन कानून बबूआ.............। हां, यह तो दो प्रदेशों का मामला है। उत्तर प्रदेश में दो जिलों के अंदर बदलाव कर दिया गया है। बांका जिले के पहाड़िया(खैरा) जाति के लोगों को अनुसूचित जन जाति का दर्जा दिलवाने हेतु आंदोलन होने लगा है। अब देखना है कि बांका जिले की सरकार किस तरह के कदम उठाकर 10 हजार लोगों के साथ न्याय करते हैं।
झारखंड और बिहार के पहाड़िया जााित का रहन-सहन और स्वभाव समतुल्य है। दोनों जगहों के पहाड़ियों का सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बदहाल है। झारखंड और बिहार में दिक्कू कष्ट पहुंचाते ही रहते हैं। कैलू पूजार ने ‘दिक्कू’ के बारे में कहा कि जो भी इंसान गैर अनुसूचित जन जाति के हैं और कष्ट पहुंचाते हैं। सभी लोग दिक्कू कहलाते हैं।
बांका जिले के चांदन प्रखंड में धनुवसार पंचायत है। इस पंचायत के दुल्लीसार गांव में पहाड़िया जाति के लोग रहते हैं। ये लोग काफी गरीब हैं। गरीबी के रेखा के नीचे रहने के कारण तीन लोगों को इंदिरा आवास योजना से 20 हजार रूपए की राशि विमुक्त की गयी थी। योजना से लाभान्वित होने वालों में कैलू पूजार, नरेश पूजार और मैना पूजार हैं। इसमें मैना पूजार की मौत हो गयी है। वर्ष 2000 में इंदिरा आवास योजना के तहत बीस हजार रूपए मिलता था। यूनाईटेड बैंक, चांदन से 20 हजार रूपए निकालते ही दिक्कू दीपक साह ने 20 हजार रूपए ले लिया कि आप लोगों का मकान बना देंगे। तीनों लोगों का रूपए ऐंठने के बाद बिहार से बाहर चला गया। इसके कारण तीनों लाभान्वितों का सपनों का मकान अधूरा ही रह गया।
इधर ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा के आदेश पर प्रखंड विकास पदाधिकारियों ने लगातार लाभान्वितों को धमकी दिया जाने लगा कि अगर लाभान्वित इंदिरा आवास योजना की राशि से मकान नहीं बना रहे हैं। तो उनपर सरकार मुकदमा दर्ज करेगी। 2012 में चांदन प्रखंड के बी.डी.ओ.साहब ने नोटिस जारी कर दिया। इस तरह की नोटिस मिलते ही कैलू पूजार के घर में भूचाल आ गया। आननफानन में 10 रूपए प्रति सैकड़े की दर से व्याज पर ऋण लेकर मकान बना लिये। इसके कारण मवेशियों को भी बेचना पड़ गया। वहीं प्रमिला देवी कहती हैं कि हम तीनों लोगों की राशि तो दिक्कू दीपक साह डकार लिया है। तो किस आधार पर इंदिरा आवास योजना से मकान बना पाते? अभी अनेक बाल-बच्चा हो गयी है। उनको दो जून की रोटी जुगाड़ करने में पसीना निकलने लगता है। तो किस तरह से जल्द से जल्द मकान निर्माण कर दें। अगर सरकार की मनमर्जी है जेल भेजने के लिए। उसके लिए तैयार हैं। वहीं मैना पूजार की मौत के बाद रामदेव पूजार जमीन पर कब्जा कर लिये हैं। इस नोटिस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
बहरहाल आरक्षण सुविधा और इंदिरा आवास योजना की राशि से महरूम पहाड़िया(खैरा) जाति के लोगों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। प्रमिला देवी के सिर पर पहाड़ खड़ा हो गया है। अब कुछ सुझ नहीं रहा है। कोई यकीन नहीं करता है कि हाथ में आयी इंदिरा आवास योजना की राशि किस तरह दिक्कू दीपक साह के हाथ में चली गयी। दूसरी ओर किस तरह से किसी व्यक्ति के बहकावे में आकर एकमुश्त राशि किसी और को दे दी जाती है। यह जांच का विषय बन गया है। अगर तीन व्यक्ति एक साथ दिक्कू दीपक साह के ऊपर आरोप लगा रहे हैं तो कुछ तो है। आग रहने पर ही धूंआ निकलता है।
(आलोक कुमार)
पटना
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