भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और उन्होंने दोषी जनप्रतिनिधियों को तत्काल अयोग्य घोषित करने से बचाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया। अध्यादेश के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट करके उनको एक ज्ञापन सौंपा।
सुषमा स्वराज ने कहा कि यह अध्यादेश अवैधानिक, असंवैधानिक और अनैतिक है। राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सलाह के अनुसार काम करते हैं लेकिन वह मंत्रिमंडल की असंवैधानिक सलाह को मानने के लिए भी बाध्य नहीं हैं।
राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मीडिया से कहा कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने के लिए ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिससे संसद में दो तरह के सदस्य हो जाएंगे। एक तो सामान्य सदस्य और दूसरे दागी सांसद।
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