पटना स्थित बुद्घ स्मृति पार्क में शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 39 देशों से आए बौद्घ भिक्षु और लामाओं की उपस्थिति में नवनिर्मित बुद्ध स्मृति संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस संग्रहालय के निर्माण में 25 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "बुद्घ स्मृति पार्क स्थित स्तूप का उद्घाटन धर्मगुरु दलाई लामा जी द्वारा 2010 के बुद्घ पूर्णिमा के दिन हुआ था। उन्होंने ही इस स्तूप का नाम पाटलीपुत्र करुणा स्तूप रखा था। स्तूप में पांच देशों से प्राप्त अवशेष के साथ दलाई लामा जी द्वारा दिए गए अवशेष को रखा गया है।"
उन्होंने कहा, "महाबोधि वृक्ष बोधगया एवं अनुराधा पुरम, श्रीलंका से लाकर बोधिवृक्ष के शिशु वृक्ष को यहां लगाया गया है। दोनों वृक्ष के बीच भगवान बुद्घ की प्रतिमा स्थापित की गई है। हम चाहते है कि यहां से सबके प्रति प्रेम, सद्भावना, करूणा का संदेश दुनिया को जाए।" मुख्यमंत्री ने इस अवसर 39 देशों से आए अन्तर्राष्ट्रीय बुद्ध संघ के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कहा कि इस अवसर पर आप सबों की उपस्थिति से बिहार गौरवान्वित है। उन्होंने कहा कि सिद्घार्थ यहां ही भगवान बुद्घ बने। यहां से ही उन्हें ज्ञान का प्रकाश मिला और यहां से ही उन्होंने विश्व को ज्ञान का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने बुद्घ स्मृति संग्रहालय के विषय में कहा कि संग्रहालय का निर्माण इस तरह से किया गया है, जिसके माध्यम से भगवान बुद्घ के जीवन, संदेश के बारे में आसानी से लोग जानकारी ले सकेंगे। यहां से ज्ञान का संदेश निकलेगा और शांति का संदेश दुनिया को देगा। संग्रहालय में मेडिटेशन सेन्टर, मेडिटेशन गुफा के साथ-साथ हमारे गौरवशाली इतिहास को परिलक्षित करने वाले अनेक प्रदर्श रखे गये हैं। इस अवसर पर विदेश से आए प्रो. गुरूगे, डॉ. हर्ष नवरत्ना, डॉ. मिनाक टूकरे, प्रो. कॉक, वेनरेबल लामा लोबजांग ने भी समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर भूटान की हर रॉयल हाईनेस प्रिंसेज आशी केसांग बांग्मो वांग्चुक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। उन्होंने बुद्घ स्मृति संग्रहालय में आकर्षक रूप से सजाकर रखे दुर्लभ प्रदशरें को देखा तथा प्रदर्शो की प्रशंसा की।
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