इसे कहते हैं कि यदि सही व्यक्ति की इज्जत पर आंच आ जाए तो वह उसे हटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यही स्थिति छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव की है। उन्होंने अपने खिलाफ शिकायतों को गलत साबित करने के लिए सीधे मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग कर नजीर पेश की है। एक शिकायती पत्र में अपने ऊपर लगे गंभीर आरोप के मामले में मुख्य सचिव सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से सीबीआई जांच की कराने का लिखित में अनुरोध किया है। सुनील कुमार अपनी ईमानदारी, कर्तव्य-निष्ठा, सादगी व साफगोई के लिए जाने जाते हैं।
जानकारी के अनुसार, कोरबा निवासी सूचना के अधिकार कार्यकर्ता आर.पी. सिंह ने मुख्य केंद्रीय सतर्कता आयोग (आईएनए), नई दिल्ली में मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीपीसी) से बीस बिंदुओं में शिकायत की है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के पद पर रहते हुए सुनील कुमार ने तथा प्रबंध संचालक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के पद पर रहते हुए आर. संगीता ने स्कूलों के लिए फर्नीचर खरीदी में गड़बड़ी की है।
यह बताना जरूरी है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के पद पर रहते हुए सुनील कुमार ने फर्नीचर की खरीद के लिए निजी फार्मों से टेंडर मंगाने के बजाय सीआईडीसी से फर्नीचर बनवाने का निर्णय लिया था। पूर्व में निजी फर्मों से जो फर्नीचर (कुर्सी-टेबल) खरीदे गए थे वे कुछ दिनांे में टूटकर कबाड़ हो गए थे।
आर. संगीता ने इस कबाड़ की तस्वीर खींचकर सुनील कुमार को दिखाया भी था। इसे गंभीरता से लेते हुए सुनील कुमार ने अभनपुर एवं दुर्ग भिलाई स्थित सीआईडीसी के बंद पड़े कारखानों को प्रारंभ कर फर्नीचर बनवाकर स्कूलों में सप्लाई करवाया था। ये फर्नीचर अति मजबूत व आरामदायक होने के कारण प्रदेश के स्कूलों में इसकी मांग बढ़ गई थी। 60 प्रतिशत स्कूलों से मांग आई थी। इससे निजी फर्मों का धंधा खराब हो गया और वे नाराज हो गए।
चूंकि सुनील कुमार मुख्य सचिव के रूप में शासन के मुखिया हैं, लिहाजा सीबीसी से उनके खिलाफ की गई शिकायत की निष्पक्ष जांच राज्य की कोई सरकारी एजेंसी नहीं कर पाएगी। हकीकत यह है कि मुख्य सचिव के खिलाफ राज्य की एजेंसी जांच करने की हिम्मत ही नहीं कर पाएगी। यही वजह है कि सुनील कुमार ने अपने खिलाफ शिकायतों-आरोपों की जांच देश की बड़ी जांच सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई से कराने का अनुरोध किया है।
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