दीघा मुसहरी के कोई बच्चा घर से आटा और कोई आलू लायामिलकर पूड़ी और आलू दम बना लिये
पटना। बाल मजदूर के खिलाफ साहब लोग विशेष अभियान चला रहे हैं। इधर दीघा मुसहरी में खेल-खेल में बच्चे सयानों का अनुशरण करके पूड़ी और आलू दम बनाकर बेचने लगे। एक रूपया में दो पूड़ी और आलू दम दिया जा रहा है।
कोई घर से आटा और कोई आलू लायाः
पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर एक में दीघा मुसहरी में महुआ दारू खुलेआम बेचा जाता है। महादलित मुसहर समुदाय के लोग खुद महुआ दारू बनाते हैं। दारू निर्माण कुटीर उघोग बन गया है। आसपास के लोग महुआ दारू पीने आते हैं। चालीस रूपए में एक बोतल दारू मिलता है। सभी लोगों को मालूम है कि खाली पेट में महुआ दारू नहीं पीना है। इसी के चलते पियक्कड़ लिट्ठी, घुघनी, आलू दम, मुर्गा के पैर, चमड़ी आदि खरीदकर लाते हैं। इसे बोलचाल में चिखना कहा जाता है। और मुसहरी में बैठकर दारू पीते हैं। दारू और चिखना बेचने वालों के साथ दारू पीने वालों के चलते मुसहरी में मेला सा दृश्य बन जाता है। इन्हीं लोगों के अनुशरण करके बच्चे चिखना बनाकर बेचते हैं।
यह साफ है कि मंहगाई डायन से लोग त्रस्त हैं:
मंहगाई डायन से लोग त्रस्त हैं। किसी तरह से ‘मनी’ का उत्पादन किया जाए। बस एकमात्र यही सोच विकसित हो गया है। बच्चे से लेकर सयाने तक रकम उत्पादन के धंधे में लग गये हैं। बच्चे के परिजन महुआ दारू बनाकर बेचते हैं और बच्चे चिखना बनाने और बेचने का प्रयोग कर रहे हैं। यह सवाल है कि बाल मजदूर विरोधी अभियान चलाने वाले बच्चों को पकड़कर क्या कर लेंगे? बाल मजदूर बनने की जड़ में जाकर समस्यांत करने की जरूरत है। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार को संवेदनशील बनना होगा। मात्रः योजना बनाने से क्या होता है। उसे बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने की जरूरत है।
(आलोक कुमार)
पटना
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