बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थिति को देख दर्द होता है : डा.रामदेव झा
- जिस पद पर अब तक कोई न कोई साहित्यकार सुशोभित होते रहे हैं
- 1930 में बनी साहित्यकारों की संस्था अध्यक्ष के रूप में अब तक पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, वरिष्ठ साहित्यकार शिवपूजन सहाय और राहुल सांकृत्यायन जैसे बड़े साहित्यकार कार्य कर चुके हैं।
बाहुबली अजय सिंह विधायक पत्नी कविता सिंह के साथ |
सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड (जदयू) की एक विधायक के पति और बाहुबली कहे जाने वाले अजय सिंह ने कथित रूप से एक साहित्यकार के पद पर कब्जा जमा लिया है। इस विधायक-पति के विरुद्ध कई संगीन मामले अभी भी न्यायालय में चल रहे हैं और एक 'विशेषता' यह भी है कि इनकी साहित्य में कभी रुचि नहीं रही है। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष और साहित्यकार अनिल सुलभ कहते हैं, "अजय सिंह का हिंदी साहित्य से कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में उनका बीएचएसएस का अध्यक्ष बनना साहित्यकारों का अपमान है।" उन्होंने आरोप लगाया कि अजय जबरन कार्यालय पहुंचकर कार्यालय का ताला तोड़कर अध्यक्ष पद पर काबिज हो गए। वे कहते हैं कि इसकी शिकायत उन्होंने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से भी की है।
पटना के एक साहित्यकार ने बताया कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष सुलभ का कार्यकाल समाप्त होने के बाद निर्वाची पदाधिकारी ने निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ की थी, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान अध्यक्ष सुलभ के अलावा डॉ़ शिववंश पांडेय, कृष्ण रंजन सिंह और अंजनी कुमार सिंह 'अनजान' के नाम प्रस्तावित किए गए थे। इनमें दो व्यक्तियों ने चुनाव के पचड़े में पड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद सुलभ और अंजनी कुमार ही चुनाव मैदान में रह गए थे, लेकिन इसी बीच अचानक बाहुबली अजय सिंह को बीएचएसएस का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। वे कहते हैं कि इस मामले ने राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिह्न् लगा दिया है।
दो दर्जन से ज्यादा संगीन आपराधिक मामलों में अब तक आरोपित रहे अजय दरौंदा की पूर्व विधायक स्व़ जगमातो देवी के पुत्र हैं। अजय ने बताया कि यह सच है कि उन्हें कई अपराधिक मामलों के आरोप का सामना करना पड़ा है, लेकिन उनके लिए 'बाहुबली' शब्द का प्रयोग किया जाना सरासर अत्याचार है। वे कहते हैं, "वर्तमान समय में बीएचएसएस अपनी प्रतिष्ठा खो रहा है, ऐसे में मैं इसकी प्रतिष्ठा वापस दिलाना चाहता हूं। मैं हिंदी साहित्य के लिए कुछ करना चाहता हूं तो इसमें क्या बुराई है?"
इधर, वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार डा.रामदेव झा कहते हैं कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की वर्तमान स्थिति को देखकर उन्हें दर्द होता है। यह साहित्य जगत के लिए अपमान है। वे कहते हैं कि ऐसे अध्यक्ष के विरोध के लिए लोगों, खासकर साहित्यकार बिरादरी को आगे आना चाहिए।
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