पर्यावरणविद एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर में प्रोफेसर रह चुके जी. डी. अग्रवाल को गंगा संरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे रविवार को 102वां दिन हो गया। उनके एक नजदीकी सहयोगी ने बताया कि अब उन्होंने जल भी त्याग दिया है। अग्रवाल हरिद्वार में मातृ सदन आश्रम में उपवास पर बैठे हुए हैं। उनकी मांग है कि सरकार गंगा एवं इसकी पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए तथा नदी का अबाध प्रवाह बनाए रखने के लिए कदम उठाए।
अग्रवाल के निकट सहयोगी आचार्य जीतेंदर ने बताया, "वह एक विख्यात वैज्ञानिक हैं, तथा गंगा को बचाने के लिए इतने दिनों से उपवास पर बैठे हुए हैं। यह बेहद शर्मनाक है कि सरकार ने उनकी चिट्ठी का जवाब तक देने की जहमत नहीं दिखाई है।" जीतेंदर ने बताया कि अग्रवाल ने 19 सितंबर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं देश के मुख्य न्यायमूर्ति पी. सतशिवम को इस संबंध में चिट्ठी लिखी, लेकिन उनमें से किसी ने भी उस पर ध्यान नहीं दिया।
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के तीन सदस्यों, राजेंद्र सिंह, रवि चोपड़ा और राशिद सिद्दीकी ने शनिवार को इस मुद्दे के साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर प्राधिकरण की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अग्रवाल ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री से मिले आश्वासन के बाद अपना अनिश्चितकालीन उपवास वापस ले लिया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें