प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक सलाहकार समिति ने शुक्रवार को मौजूदा कारोबारी साल के लिए विकास दर के अनुमान 6.4 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी कर दिया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का विकास 2013-14 में 5.3 फीसदी की दर से हो सकता है। अप्रैल में की गई घोषणा में समिति ने विकास दर के अनुमान को 6.4 फीसदी पर रखा था। 2012-13 में विकास दर पांच फीसदी रही थी।
रंगराजन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि क्षेत्र का विकास 4.8 फीसदी की दर से होने का अनुमान है, जिसका विकास पिछले कारोबारी साल में 1.9 फीसदी की दर से हुआ था। उन्होंने कहा, "समय से पहले और बेहतर मानसून का रोपाई पर काफी सकारात्मक असर हुआ है। जलाशयों की स्थिति 10 सालों के औसत से 29 फीसदी बेहतर है। इसलिए खरीफ और रवि दोनों फसलों के बेहतर रहने का अनुमान है।"
उन्होंने कहा कि विनिर्माण, खनन, बिजली, गैस, जलापूर्ति और निर्माण वाले उद्योग क्षेत्र में 2.7 फीसदी विकास दर की उम्मीद है, जो पिछले कारोबारी साल में 2.1 फीसदी थी। विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल में 1.5 फीसदी रह सकती है, पिछले कारोबारी साल में एक फीसदी थी। अर्थव्यवस्था में आध से अधिक योगदान करने वाले सेवा क्षेत्र की विकास दर हालांकि घटकर 6.6 फीसदी रह सकती है, जो पिछले कारोबारी साल में 7.1 फीसदी थी।
रंगराजन ने कहा कि आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को और उदार बनाना होगा। उन्होंने सरकारी कंपनियों का निवेश और लंबित विधेयकों को पारित किए जाने जैसे अन्य कई कदम भी सुझाए। समिति ने कहा कि कर के बारे में उद्योग जगत की कुछ चिंताओं का भी समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चालू खाता घाटा कम करना नीति निर्माताओं की प्रमुख चिंता है।
चालू खाता घाटा को मौजूदा कारोबारी साल में 70 अरब डॉलर या जीडीपी के 3.8 फीसदी के दायरे में सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है, 2012-13 में यह 4.8 फीसदी था। मौजूदा कारोबारी साल में वस्तु व्यापार घाटा को 185 अरब डॉलर या जीडीपी के 10.1 फीसदी की सीमा में रखने का लक्ष्य रखा गया था, जो पिछले कारोबारी साल में 195.7 अरब डॉलर या जीडीपी का 10.6 फीसदी था। समिति ने कहा कि बजट घोषणा के मुताबिक केंद्र सरकार ने वित्तीय घाटा जीडीपी का 4.8 फीसदी रहने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले कारोबारी साल में 4.9 फीसदी था।
थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर मौजूदा कारोबारी साल की समाप्ति पर घटकर 5.5 फीसदी रह सकती है, जो 2012-13 में औसत 7.4 फीसदी थी। सामान्य मानसून के कारण कृषि क्षेत्र की विकास दर अच्छी रहने से महंगाई दर में कमी आएगी। उन्होंने कहा, "2013-14 के दौरान कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन का खाद्य महंगाई दर पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, हालांकि रुपये के अवमूल्यन से ऊपर की ओर दबाव बना रहेगा।" उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर मार्च 2014 तक 5.5 फीसदी के आसपास रहेगी, जो 2012-13 में औसत 7.4 फीसदी और मार्च 2013 के अंत में 5.7 फीसदी थी।"
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