सांसद पार्टी से नाराज तो कहीं पार्टी सांसद से नाराज और कहीं जनता को अपने लापता सांसद की तलाश। कमोबेश समूचे देश की इन दिनों यही स्थिति है। शत्रुघ्न सिन्हा व धर्मेन्द्र भाजपा के सिरदर्द बने हुए हैं, तो कांग्रेस भी अपने कुछ सांसदों से परेशान हैं। इस क्रम में अब पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस के बंगला फिल्म अभिनेता तापस पाल, अभिनेत्री शताब्दी राय और पत्रकार से राजनेता बने कुणाल घोष भी पार्टी से नाराज हो गए। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा तो निर्वाचित होने के बाद से ही नेतृत्व से खिन्न थे। रेल मंत्री पद से हटाए गए दिनेश त्रिवेदी की खामोशी भी कुछ कहती है।जबकि तृणमूल कांग्रेस के एक और सांसद कलाकार कबीर सुमन तो चुने जाने के कुछ दिनों बाद ही बागी हो गए थे। दिलचस्प है कि निर्वाचित होने के बाद पार्टी से नाराज होने वाले ज्यादातर सांसद गैर - राजनीतिक पृष्ठभूमि के हैं। सवाल उठता है कि राजनैतिक पार्टियां यह जानते हुए भी कि ऐसे पृष्ठभूमि वाले वे लोग जो किसी दूसरे क्षेत्र में स्थापित- प्रतिष्ठित हैं, उन्हें संगठन के खुंटे से बांध कर रखना संभव नहीं होगा, चुनाव के समय आखिर उन्हें टिकट दिया ही क्यों जाता है।
वहीं टिकट पाने वाले ऐसे लोग भी जो यह जानते हैं कि अपनी इमेज के चलते वे चुनाव जीत कर संसद भले पहुंच जाए, लेकिन राजनीति में उनकी दाल गलने वाली नहीं। फिर भी वे सांसद बनने के लिए आखिर क्यों लालायित रहते हैं। आखिर क्या है सांसद बनने - बनाने का फंडा। जिसके चलते दोनों पक्ष जानते - बुझते हुए भी नीलकंठ की तरह हलाहल गले से नीचे उतारने को बेचैन रहते हैं। दरअसल किसी क्षेत्र में स्थापित हस्तियां भले ही लोगों में आकर्षण का केंद्र बने रहते हों, लेकिन सच्चाई यह है कि अंदर से वे भयंकर असुरक्षा से घिरे रहते हैं। सांसद बनने के बाद मिलने वाली आर्थिक - सामाजिक सुरक्षा व पहचान उन्हें हमेशा ललचाती है। वहीं राजनीतिक दलों की भी यह मजबूरी है कि चुनाव जीतने के लिए उन्हें ऐसे लोगों की तलाश रहती है, जिनकी अपनी पहचान होने के साथ ही वे साधन - संपन्न भी हों, ताकि भारी चुनावी खर्च का बड़ा हिस्सा वहन कर सके। साथ ही उनके आकर्षण का लाभ भी पार्टी को मिले। यह मजबूरी राजनैतिक दलों को गैर - राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को भी चुनाव में टिकट देने को बाध्य करती है। यही है देश में सांसद बनने - बनाने का फंडा।
खड़गपुर ( प शिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
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