मायानंद मिश्र के निधन के दुख से मैथिली साहित्य जगत अभी उबरा भी नहीं था कि मैथिली के दूसरे वरिष्ठ साहित्यकार जीवकांत का भी निधन हो गया। बुधवार को यहां पटना मेडिकल कालेज अस्पताल में उनका हृदय गति रुक जाने के कारण निधन हो गया। उन्हें वर्ष 1998 में कविता संग्रह 'तकैत अछि चिड़ै' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। जीवकांत की साहित्य रचनाओं में पांच उपन्यास, चार कथा संग्रह एवं पांच कविता संग्रह सहित करीब 22 पुस्तकें शामिल हैं। साहित्य अकादमी से सम्मानित तकैत अछि चिड़ै कविता संग्रह का हिंदी अनुवाद 'निशांत की चिड़िया' नाम से प्रकाशित है।
साहित्य अकादमी के अलावा वे किरण सम्मान, वैदेही सम्मान एवं प्रबोध सम्मान सहित कई सम्मान से नवाजे गए। उन्होंने बच्चों के लिए भी काफी साहित्य सृजन किया और एक आदर्श शिक्षक का जीवन जिया। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके गांव में किया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्र हैं। उनकी पहली रचना-इजोड़िया आ टिटही (कविता) जनवरी 1965 में मिथिला मिहिर में प्रकाशित हुई थी और पहली पुस्तक दू कुहेसक बाट (उपन्यास) 1968 में प्रकाशित हुआ था।
जीवकांत की प्रकाशित रचनाओं में कविता संग्रह : नाचू हे पृथ्वी (71), धार नहि होइछ मुक्त (91), तकैत अछि चिड़ै (95), खांड़ो (1996), पानि में जोगने अछि बस्ती (98), फुनगी नीलाकाश में (2000), गाछ झूल-झूल (2004), छाह सोहाओन (2006), खिखिरिक बीअरि (2007), कथा-संग्रह : एकसरि ठाढ़ि कदम तर रे (72), सूर्य गलि रहल अछि (75), वस्तु (83), करमी झील (98), उपन्यास : दू कुहेसक बाट (68), पनिपत (77), नहि, कतहु नहि (76), पीयर गुलाब छल (71), अगिनबान (81) आदि शामिल हैं।
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