भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कारगुजारियों से काफी नाराज है। पार्टी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर साजिश करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वामपंथ को नजरंदाज करना मीडिया की सोची-समझी साजिश है। पार्टी का यह भी आरोप है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साजिशन देश-प्रदेश के अहम मुद्दों पर अन्य राजनीतिक दलों के साथ-साथ आमजन से सीधे जुड़े वामपंथियों की कोई राय नहीं लेते हैं।
भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आजकल बड़े-छोटे न्यूज चैनल का ट्रेंड एकदम साफ है। डिस्कशन पैनल में दो व्यक्ति सांप्रदायिक पार्टियों के बिठाए जाते हैं जो रोबोट की तरह जो कुछ उनके अंदर फीड किया गया है उसे कोबरा के विष-वमन की तरह उड़ेलते रहते हैं। एक व्यक्ति किसी विशेष राजनीतिक दल का बिठाया जाता है जो दम तोड़ते हुए बुड्ढे की भांति लंबी-लंबी सांसें लेता हांफता पार्टी के पापों पर पर्दा डालता नजर आता है। वहीं कोई क्षेत्रीय क्षत्रप अपनी पार्टी के पक्ष में उलटबांसियां करता नजर आता है।
उन्होंने कहा कि लेकिन 80 प्रतिशत शोषित, पीड़ित, दलित और दमित समाज के लिए संघर्षरत वामपंथ का कोई प्रतिनिधि या तो बुलाया नहीं जाता या बुलाया जाता है तो ऐसा कोई गुड्डा जो वामपंथ से सरोकार रखने के बजाय विकृत अंग, विकृत वाणी, विकृत वेश के जरिए विदूषक की भूमिका में नजर आता है।
डा. गिरीश कहते हैं कि अच्छे, सच्चे और जमीन से जुड़े नेताओं को मौका नहीं दिया जाता। जाहिर है, कार्पोरेट हितों का पोषक मीडिया क्यूं आम जनता के सच्चे पैरोकारों को जनता के सामने पेश करेगा।
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