अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गुरुवार को कहा कि इसके क्युरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह के सतह पर मीथेन गैस की मौजूदगी नहीं पाई है जो कि जीवन की संभावना का एक संकेत होता है। नासा का क्युरियोसिटी रोवर अगस्त 2012 में मंगल पर उतरा था। इसने मीथेन गैस के लिए पिछले साल अक्टूबर से इस साल जून के बीच मंगल ग्रह के वातावरण के नमूने का विश्लेषण किया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक नासा के जेट प्रणोदक प्रयोगशाला के क्रिस वेबस्टर ने कहा, "हमे मंगल ग्रह के वातावरण में न तो मीथेन मिला न ही हमें इसका पता लगा।" वेबस्टर ने कहा, "हमारे क्युरियोसिटी ने दिखाया कि मंगल ग्रह के वातावरण में वर्तमान समय में मीथेन बेहद कम मात्रा में है या फिर यह मौजूद नहीं है, जो कि धरती पर जैविक प्रक्रिया के तहत बनता है और मंगल पर जीवन की मौजूदगी का संभावित संकेत होता।"
पिछले एक दशक से अधिक समय से शोधकर्ता मंगल ग्रह के आसपास मीथेन की मौजूदगी की बात करते आ रहे हैं जिसने मंगल पर जैविक स्रोत की संभावना में रुचि बढ़ाई है। हालांकि, जब से इस रिपोर्ट के धरती या परिक्रमा कर रहे उपग्रह से लिए जाने की बात सामने आई है, यह विवादास्पद हो गया है।
साइंस पत्रिका के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह के वातावरण से मीथेन के शीघ्र गायब हो जाने की संभावना को खारिज किया है। शोध पत्र को लिखने वाले लेखक और युनिवíसटी ऑफ मिशिगन के सुशील अत्रे ने कहा, "मीथेन स्थाई है। यह मंगल ग्रह में सैंकड़ों साल बरकरार रहेगा।"
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