विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से अयोध्या में आयोजित पंचकोसी परिक्रमा सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई। आंध्र प्रदेश के संतों ने कारसेवकपुरम् से पंचकोसी यात्रा की शुरुआत की। परिक्रमा मार्ग में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती रही। पंचकोसी यात्रा पर निकले संतों के साथ बड़ी संख्या में पुलिस, आरएएफ तथा सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई है। ये पुलिस बल संतों के साथ-साथ चलते रहे, ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय ने बताया कि पंचकोसी यात्रा का मुख्य उद्देश्य संतों के द्वारा शास्त्रानुसार रेखा खींचकर राम मंदिर निर्माण स्थल के इर्दगिर्द सीमा को अभेद्य बनाना है, ताकि उस रेखा की परिधि में किसी प्रकार की मस्जिद या अन्य इस्लामिक सेंटर न बनाया जा सके और भव्य मंदिर निर्माण में कोई रुकावट न पैदा हो। राय के मुताबिक, दक्षिण भारत के संत धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। उनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। नवरात्र के बाद दक्षिण भारत के संतों में किसी न किसी धर्मस्थली पर परिक्रमा किए जाने की परंपरा रही है। इसी कड़ी में दक्षिण भारत के संत परिक्रमा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि विहिप हिंदू धर्म के संतों की सुरक्षा-सेवा के लिए हमेशा तत्पर रही है। पंचकोसी परिक्रमा के लिए दक्षिण भारत से प्रतिदिन करीब तीन दर्जन संतों का आवागमन होगा। इनकी सेवा व सहयोग के लिए विहिप कदम-कदम पर सक्रिय रहेगी। पंचकोसी यात्रा में प्रमुख रूप से स्वामी शिवस्वामी, संत ज्ञानेश्वरानंद, माता ज्ञानेश्वरी, संत आनंद सरस्वती, स्वामी आद्यनिर्माण समेत कई संतों ने हिस्सा लिया।
विहिप के प्रदेश मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि यात्रा कारसेवकपुरम् से सुबह आठ बजे निकली और शाम चार बजे तक पुन: वापसी हुई। यह यात्रा इसी दिनचर्या के हिसाब से 13 अक्टूबर तक अनवरत चलती रहेगी। उन्होंने बताया कि पंचकोसी यात्रा में निकले संतों को प्रतिदिन 15 किलोमीटर पैदल चलना होगा। यात्रा के वापस आने पर कारसेवकपुरम् में प्रतिदिन यज्ञ व हवन का कार्यक्रम रखा गया है।
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