बिहार के गया में 18 सितंबर से लगने वाले पितृपक्ष मेले में इस बार कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। गत सात जुलाई को बोधगया में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के मद्देनजर जिला प्रशासन और पुलिस ने मेले में सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किए जाने का दावा किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 18 सितंबर से शुरू होने वाले इस मेले में 3000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी, क्योंकि इस मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। पिछले वर्ष भी खुफिया विभाग ने इस मेले में आतंकवादी हमले की आशंका जताई थी।
मेला क्षेत्र में बम निरोधक दस्ते और खोजी कुत्तों को विशेष रूप से तैनात किया जाएगा। यह मेला धीरे-धीरे गया शहर, बोधगया और आस-पास के इलाकों तक फैल जाता है।गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी ने कहा कि मेले के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। इन दिनों वे खुद प्रमुख मंदिरों का दौरा कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किन-किन स्थानों पर विशेष सावधानी बरती जानी है। गया के पुलिस शिविरों में भी मेले के दौरान कड़ी सुरक्षा रखी जाएगी।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृपक्ष' या 'महालय पक्ष' कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों को पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि पिंडदान करने से मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पिंडदान के लिए बिहार के गया को सबसे उपयुक्त स्थल माना जाता है।
इस वर्ष पितृपक्ष के दौरान गया में लाखों लोगों के जुटने की संभावना है। इस मोक्षदायिनी भूमि में पिंडदान करने के लिए 45 वेदियां बनी हुई हैं। फल्गु नदी के तट पर बसे गया में विष्णुपद मंदिर के अलावा अन्य पिंडदान स्थलों में रामशिला, प्रेतशिला, मंगला गौरी, सूर्यकुंड, गोप्रचारिणी, ब्रह्मसरोवर, फल्गु घाट, गयासुर वेदी, सीताकुंड, रामकुंड, देवघाट, कागबलि प्रमुख हैं।
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